For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

माँ सरस्वती के चरणों में अर्पित आज का पुष्प।

माँ सरस्वती के चरणों में अर्पित आज का पुष्प

कल की पयस्विनी पय को भटक रही,
ममता की मारी माँ मय को गटक रही।
आँचल में दूध नहीं पानी आँख का गया,
सहरी सैलाब में सील वो सटक रही।
खिलने दिया नहीं वो बीज ही मसल दिया,
बागवां खामोश सब कलियाँ चटक रही।
दूध में ही पी के दर्द भर लिया कलेजे में,
कदर कोई नहीं बात ये खटक रही।
पूजनीया देवों की अब लूट नीया हो गई,
बच्चों की जमात भी कितना सहक रही।
इज्ज़त नीलाम हुई सरेआम बेलगाम ,
बच्चे पर राजनीति गले में अटक रही।
साँप आज आस्तीन में जो पलने लगे ,
दूध उन्हें देने की रिवायत खटक रही।
सोचनीय ब्रम्हचर्य नग्न क्यों हुआ है आज,
स्वामी जी की कमी फिर आज है खटक रही।
कभी पहनावे कभी पर्दे पै राजनीति ,
बहस में हल बिना संस्कृति सिमट रही।
सभ्यता की बात आज हर वो असभ्य करे ,
माथे पर जिसके तलवार हो लटक रही।
बात पर्दे की अब परदे में होने दो ,
चर्चा आम बंद करो भारती सिसक रही।

Views: 591

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 16, 2013 at 11:38am

समसामयिक परिवेश को शब्द दे दिए हैं आपने 

 समाज में नयी सोच का स्वरुप खुल के सामने आता है 
बहुत बहुत बधाई इस रचना हेतू आदरणीया मंजरी जी  
Comment by Sarita Sinha on February 15, 2013 at 11:31pm

बहुत खूब मंजरी जी, अच्छा है कि पानी विहीन आँखें और दूध विहीन आँचल देखने को आज मैथिलिशरण गुप्त जी नही हैं..
अच्छी रचना की बधाई..

Comment by mrs manjari pandey on February 15, 2013 at 9:51pm

  

आदरणीय अभिनव अरुण जी  रचनाओं पर पैनी नज़र के लिए कोटिशः साधुवाद।

Comment by mrs manjari pandey on February 15, 2013 at 9:50pm

डोक्टर अजय खरे जी मेरा उत्साह बढाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद

Comment by mrs manjari pandey on February 15, 2013 at 9:49pm

  आदरणीय सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर जी। रचना आप जैसे कुछ लोगों को भी अच्छी लगी। मेरा प्रयास सार्थक हुआ . मेरा हौसला बढाने के लिए धन्यवाद।

Comment by mrs manjari pandey on February 15, 2013 at 9:48pm

आदरणीय  लक्ष्मन  प्रसाद जी   आपने रचना का मान  रखा मेरा उत्साहवर्धन किया। बहुत बहुत धन्यवाद। भविष्य  में भी मार्गदर्शन करते रहिएगा निवेदन है .

Comment by mrs manjari pandey on February 15, 2013 at 9:32pm

आदरणीय  सौरभ जी सादर आभार एवं आशीर्वाद आपलोगों का।

साथ ही ओ बी ओ के मंच को भी नमन जहाँ एक से बढ़कर एक रचनाएँ एवं

हम जैसों को प्रेरणा का खज़ाना मिलता है . बहुत बहुत धन्यवाद रचना पर टिप्पड़ी के

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 15, 2013 at 7:00pm
वर्तमान परिस्थितियों पर वेदना की गहरी अनुभूति लिए सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारे बहिन मंजरी पाण्डेय जी 

इज्ज़त नीलाम हुई सरेआम बेलगाम ,
बच्चे पर राजनीति गले में अटक रही। -   
साँप आज आस्तीन में जो पलने लगे ,
दूध उन्हें देने की रिवायत खटक रही।   -  गहरी वेदना युक्त पंक्तियाँ 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 15, 2013 at 5:43pm

आदरणीया मंजरीजी, आपकी द्विपदियाँ कई सार्थक प्रश्न झोंकती है और पाठक से अनुमोदन लेकर व्यावहारिक धरातल पर बहती जाती है.

हार्दिक बधाई व शुभकामनाएँ.

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on February 15, 2013 at 4:51pm

दूध में ही पी के दर्द भर लिया कलेजे में,
कदर कोई नहीं बात ये खटक रही।
पूजनीया देवों की अब लूट नीया हो गई,
बच्चों की जमात भी कितना सहक रही।

आदरणीया मंजरी जी ...दर्द को पिरोती हुयी ये रचना मन को छू गयी .. काश लोग आँखें खोलें समाज से न खेलें 

जय श्री राधे 
भ्रमर 5 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"जी, कुछ और प्रयास करने का अवसर मिलेगा। सादर.."
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"क्या उचित न होगा, कि, अगले आयोजन में हम सभी पुनः इसी छंद पर कार्य करें..  आप सभी की अनुमति…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय.  मैं प्रथम पद के अंतिम चरण की ओर इंगित कर रहा था. ..  कभी कहीं…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
""किंतु कहूँ एक बात, आदरणीय आपसे, कहीं-कहीं पंक्तियों के अर्थ में दुराव है".... जी!…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"जी जी .. हा हा हा ..  सादर"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य आदरणीय.. "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी  प्रयास पर आपकी उपस्थिति और मार्गदर्शन मिला..हार्दिक आभारआपका //जानिए कि रचना…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।छंदो पर उपस्थिति, स्नेह व मार्गदर्शन के लिए आभार। इस पर पुनः प्रयास…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। छंदो पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन।छंदों पर उपस्थिति उत्तसाहवर्धन और सुझाव के लिए आभार। प्रयास रहेगा कि…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"हर्दिक धन्यवाद, आदरणीय.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह वाह ..  दूसरा प्रयास है ये, बढिया अभ्यास है ये, बिम्ब और साधना का सुन्दर बहाव…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service