+++++++++++++++++++++++++++++++
दिया अब सब्र का भी बुझ रहा अंतिम बगावत है
मगर ये रात खुलती ही नहीं लम्बी अमावस है ||
तमन्ना की जमीं पर जब कभी भी घर बनाया था
हकीकत की लहर ने एक पल में सब डुबा डाला |
मेरी कोशिश मनाने की अभी तक भी निरंतर है
सभी नाराज होने की वजह को भी मिटा डाला ||
तुम्हारा रूठना अब लग रहा मुझको क़यामत है
सभी आदत बदल लूँगा तुम्हे जिन पर शिकायत है ||
वजह क्या थी खता क्या थी मुझे ये तो बता देते
जरा सी बात पर यूँ चल दिए मुझको सजा देकर |
....मनाने के लिए तुम मांग भी लेते अगर साँसे
......मुझे मंजूर होती मौत भी तुमको दुआ देकर ||
मेरे दिल में तुम्हारे नाम की अब भी लिखावट है
न जाने क्यूँ तुम्हे शक है मुहोब्बत में मिलावट है ||
अगर कल मै कहीं थक कर अचानक मौत मांगूंगा
मेरी ये आखिरी ख्वाइश समझ कर माफ़ कर देना |
ये जो इल्जाम तुमने बेवजह मुझ पर लगाये हैं
.....गुनाहों का पुलिंदा खोल कर इन्साफ कर देना ||
निहारा ताज को जिसने- कहा सुन्दर बनावट है
किसी ने यह नहीं सोचा दफ़न उसमे मोहोब्बत है ||.........मनोज
Comment
आत्म-कथ्यात्मक अंदाज़ में आपकी रचना अच्छी लगी.
तुकांत के क्रम में आपने प्रयोग किया है तो यही निवेदन करना चाहूँगा कि ऐसे तुकांत उचित नहीं हैं.
हार्दिक शुभकामनाएँ.. . शुभेच्छाएँ.
निहारा ताज को जिसने- कहा सुन्दर बनावट है
किसी ने यह नहीं सोचा दफ़न उसमे मोहोब्बत है ||- सुन्दर, बधाई श्री मनोज नौटियाल जी
आदरणीय मनोज जी " दिया अब सब्र का भी बुझ रहा अंतिम बगावत है। " बहुत खूब कहा आपने। हार्दिक शुभकामनायें।
बहुत बहुत सुन्दर ... बधाई आप को
बहुत खूब manoj जी ..बधाई स्वीकारें
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online