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माँ से ही तो हमारा आस्तित्व है .. बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए
marmsparshi rachana badhai vandna ji
आदरणीया वंदना जी!
माँ ने जो भी हमारे लिए किया ..हम नम हो जाते है उसको लिखते समय ..सोचते समय क्या शब्द बुनूं तेरी ममता में...
सृजन किया है दृढ़ता से
पर पाला अति कोमलता से
मोह त्यागकर ममता से
खुद जल,सींचा शीतलता से
ये भी सच है की संतान कभी अपनी माँ के ऋण से ऊ ऋण नही हो सकती .. लेकिन उनका भाव, प्रेम और त्याग भी तभी समझ सकती है जब वस खुद माँ बने बाप बने . क्या भाव गढ़ूं तेरी ममता मे... .
फिर भी माँ का पद सबसे महान है
मैं परिणाम तुम्हारे त्यागों का
वरदान तेरे संघर्षों का
सम्मान तुम्हारे भावों का
निष्कर्ष तेरे कर्तव्यों का
सादर वेदिका
आदरणीया ...सादर अभिवादन
माँ की ममता, त्याग ,अपनापन ....बिना शर्त का प्रेम ,इन सब का कर्ज कोई नही उतार सकता |
माँ अदभुत हैं ,माँ इस पृथ्वी पर साक्षात् ईश्वर हैं |
हर माँ को नमन
आदरणीया वंदना जी:
माँ के प्रति कोमल भावनाओं को इतनी
मार्मिक्ता से साक्षात करने के लिए
साधुवाद!
विजय निकोर
आदरणीया ...सादर अभिवादन
माँ की ममता, त्याग ,अपनापन ....बिना शर्त का प्रेम ,इन सब का कर्ज कोई नही उतार सकता |
माँ अदभुत हैं ,माँ इस पृथ्वी पर साक्षात् ईश्वर हैं |
हर माँ को नमन और शुभकामनाएँ !
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