For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

माँ..
मैं परिणाम तुम्हारे त्यागों का
वरदान तेरे संघर्षों का
सम्मान तुम्हारे भावों का
निष्कर्ष तेरे कर्तव्यों का
कोरी है रसना की परिपाटी,
क्या शब्द बुनूं तेरी ममता में...
तेरे,
संघर्षों से अस्तित्व मिला
तेरे भावों से उर प्रेम खिला
कर्तव्यों से पथ-दर्श मिला
कुछ यूं हि मुझे आकार मिला,
क्या प्रतिफल दूं तेरी ममता में...
तूने,
सृजन किया है दृढ़ता से
पर पाला अति कोमलता से
मोह त्यागकर ममता से
खुद जल,सींचा शीतलता से
बंजर है मेरा हृदय क्षेत्र,
क्या भाव गढ़ूं तेरी ममता मे...
सम्भव है, पृथक रहूं मैं तन से
दायित्व बंधें हैं जो जीवन से
संस्कार पौध रोपी जो तूने
प्रसून बिखेरेगी जग-उपवन में
प्रीति-मेघ की बौछारों के
दो 'विन्दु' समर्पित तेरी ममता में...
-विन्दु
(अप्रकाशित)

Views: 582

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Meena Pathak on February 22, 2013 at 12:53pm

माँ से ही तो हमारा आस्तित्व है .. बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए 

Comment by Dr.Ajay Khare on February 22, 2013 at 12:03pm

marmsparshi rachana badhai vandna ji

Comment by Vindu Babu on February 21, 2013 at 11:27pm
सादर आभार आदरणीय सुहृदयों!
आपकी प्रतिक्रिया हमारा सम्बल है.
माँ.. के अतुल्य प्रेम की सुगन्ध(जो मेरा जीवन-पथ सुगन्धित कर रही है) से जन-जन से साझा करना चाहती हूं...
सस्नेह नमन!
Comment by वेदिका on February 21, 2013 at 11:03pm

आदरणीया वंदना जी!

 माँ ने जो भी हमारे लिए किया ..हम नम हो जाते है उसको लिखते समय ..सोचते समय  क्या शब्द बुनूं तेरी ममता में...

सृजन किया है दृढ़ता से
पर पाला अति कोमलता से
मोह त्यागकर ममता से
 खुद जल,सींचा शीतलता से

ये भी सच है की संतान कभी अपनी माँ के ऋण से ऊ ऋण नही हो सकती .. लेकिन उनका भाव, प्रेम और त्याग भी तभी समझ सकती है जब वस खुद माँ बने बाप बने . क्या भाव गढ़ूं तेरी ममता मे... .

फिर भी माँ का पद सबसे महान  है 

मैं परिणाम तुम्हारे त्यागों का
वरदान तेरे संघर्षों का
सम्मान तुम्हारे भावों का
निष्कर्ष तेरे कर्तव्यों का

सादर वेदिका 

Comment by ram shiromani pathak on February 21, 2013 at 7:34pm

आदरणीया ...सादर अभिवादन

माँ की  ममता, त्याग ,अपनापन ....बिना शर्त का प्रेम ,इन सब का कर्ज कोई नही उतार सकता |

माँ अदभुत हैं ,माँ इस पृथ्वी पर साक्षात् ईश्वर हैं |

हर माँ को नमन

Comment by vijay nikore on February 21, 2013 at 10:25am

आदरणीया वंदना जी:

 

माँ के प्रति कोमल भावनाओं को इतनी

मार्मिक्ता से साक्षात करने के लिए

साधुवाद!

 

विजय निकोर

Comment by ajay yadav on February 21, 2013 at 9:33am

आदरणीया ...सादर अभिवादन

माँ की  ममता, त्याग ,अपनापन ....बिना शर्त का प्रेम ,इन सब का कर्ज कोई नही उतार सकता |

माँ अदभुत हैं ,माँ इस पृथ्वी पर साक्षात् ईश्वर हैं |

हर माँ को नमन और शुभकामनाएँ  !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
10 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
14 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service