For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तेज धूप में छांव की आस है

रेत के बीच बढ़ रही प्यास है

 

हाथ में तीर और तलवार है

वो जो मेरे दिल के पास है

 

कथन के अर्थ को समझ लेना

अपनों की अपनों से खटास है

 

बाल धूप में सफेद होने लगे

तेरी उम्र में फिर क्या खास है

 

वो कल जिंदा था आज लाश है
विरोध उनको आता नहीं रास है

                       - बृजेश नीरज

Views: 637

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on February 26, 2013 at 5:58pm

वीनस जी आपका आभार। मेरे साथ एक समस्या है मैं गा नहीं पाता इसलिए मेरी रचनाओं में लय की कमी रहती ही है।

Comment by वीनस केसरी on February 26, 2013 at 12:25am

बहुत खूब
हार्दिक बधाई
मुझे लयात्मकता में कुछ कमी दिख रही है ...

शुभकामनाएं

Comment by बृजेश नीरज on February 25, 2013 at 6:21pm

महोदया,
मैं हिन्दी व्याकरण में काफी कमजोर रहा हूं। लिखना सीख ही रहा हूं। अर्ध विराम, विराम जहां बहुत आवश्यक होता है प्रयोग करने का प्रयास करता हूं अन्यथा नहीं ही करता। यह अभी तक मेरे लेखन का ढंग रहा है। आपकी आपत्ति के बाद इसमें सुधार करने का प्रयास करूंगा लेकिन समस्या यह है कि एक कमजोर विद्यार्थी कितना और किन किन क्षेत्रों में सुधार कर सकेगा यह विचारणीय है।
सादर!

Comment by Vindu Babu on February 25, 2013 at 6:16pm
महोदय सादर अभिनन्दन!
क्षमा करें श्रीमान,मुझे लगता है काव्य अर्ध-विराम,विराम आदि चिन्हों से काव्य में और सुस्पष्टता आती है।
'बाल धूप मे सफेद होने लगे
तेरी उम्र में फिर क्या खास है'
सबसे प्रभावी पंक्ति।
बधाई आपको.
Comment by बृजेश नीरज on February 25, 2013 at 5:33pm

Aarti Sharma ji आपका आभार!

Comment by Aarti Sharma on February 25, 2013 at 5:31pm

अपनों की अपनों से खटास है

बहुत खूब सर..बधाई

Comment by बृजेश नीरज on February 24, 2013 at 7:48pm

आदरणीय गणेश जी
कृपया संशोधन पर नजर डालें। बात कुछ बनती दिख रही है अथवा नहीं।
सादर!

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 24, 2013 at 7:08pm
विरोध की हिम्मत हो तो कर।
वो साहब का बहुत ही खास है॥
Comment by बृजेश नीरज on February 24, 2013 at 7:01pm

विन्ध्येश्वरी जी
आपका बहुत आभार! अभी तो यह तनाव है कि बागी जी के आपत्ति के बाद इस 'लाश' का क्या करूं।

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 24, 2013 at 6:49pm
बहुत ही उम्दा भाव है आदरणीय ब्रिजेश जी!बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service