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बुझा चिराग तूफान बताया होगा
अँधेरा मन ही मन मुस्कराया होगा

पतंग यूँ तो चाहे ऊँची उडारी
जिस के हाथ मर्जी से उडाया होगा

जला चिराग करें जो खुंजा रोशन,
उसको अँधेरी रात ने डराया होगा

जुर्म चाहे पेट से जन्मा नहीं,मगर
भूख पेट की ने जुर्म कराया होगा

अभी ये बस्ती उस को जानती नहीं
लगता हैं इंसान बन दिखाया होगा

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Comment by rajesh kumari on February 26, 2013 at 10:51am

जुर्म चाहे पेट से जन्मा नहीं,मगर 
भूख पेट की ने जुर्म कराया होगा-----पेट की भूख ने

कथ्य व भाव बहुत सुंदर हैं ग़ज़ल के और भी निखार आ जायेगा वीनस जी की बात पर गौर फर्माए  बहुत- बहुत बधाई 

Comment by वीनस केसरी on February 26, 2013 at 12:27am

आदरणीय, 
बहर पर भी ध्यान दें तो ग़ज़ल के आधारभूत तत्वों की भरपाई हो और रचना ग़ज़ल के मानकों पर खरी उतरे
शुभकामनाएं

कृपया ध्यान दे...

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