चाहत के पंछी को जब उडाता हूँ
दर्दे -ए -दिल और करीब पाता हूँ
घूम कर जब तक वो घर नहीं आता
घर का दर हूँ कब चेन पाता हूँ
मैनें मुस्करा कर हाथ बढाया
उस के अहं से क्यूँ टकराता हूँ
तब मुझ को होने का होता है यकीं
लौ की तरह जब में कांप जाता हूँ
वो चाहे के बो दूँ अपने अरमां ,
क्या बताऊ के एहसास ऊगाता हूँ '
Comment
चाहत के पंछी को जब उडाता हूँ
दर्दे -ए -दिल और करीब पाता हूँsunder rachana mohan ji badhai keep it up
सरस्वती जी,
उत्साहित करने के लिए धन्यवाद
तब मुझ को होने का होता है यकीं
लौ की तरह जब में कांप जाता हूँ
वो चाहे के बो दूँ अपने अरमां ,
क्या बताऊ के एहसास ऊगाता हूँ
बहुत खूब
मोहन बेगोवाल ,
राम जी , उत्साहित करने के लिए धन्यवाद
bahot hi badiya hai adarneey mohan ji.....kathya ko chdkar aur kuchh bhi hota hai ......pahle to aap gazl ki kaksha,chand vidhaan ,hindee ki kaksha adi join kar jankaari le filhal sab theek hai ....
gurujano se unaki raay lena na bhoole mai bhi seekh raha hu...saadar
मोहन बेगोवाल
एडमिन व दोस्तों, कृपा करके मेरी रचना बारे अपनी राए दीजिए , क्या मुझे ऐसी रचना को पोस्ट करना चाहिए ?
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online