मौलिक / अप्रकाशित
करकश करकच करकरा, कर करतब करग्राह ।
तरकश से पुरकश चले, डूब गया मल्लाह ।
डूब गया मल्लाह, मरे सल्तनत मुगलिया ।
जजिया कर फिर जिया, जियाये बजट हालिया ।
धर्म जातिगत भेद, याद आ जाते बरबस ।
जीता औरंगजेब, जनेऊ काटे करकश ।
करकश=कड़ा करकच=समुद्री नमक
करकरा=गड़ने वाला
कर = टैक्स
करग्राह = कर वसूलने वाला राजा
Comment
अब अगर जोड़ घटाव कर देखा जाये तो ब्लॉग पर प्रकाशन का समय १ मार्च का लगभग प्रात: ११ बजे का आता है-
आभार आदरणीय-
अब अगर जोड़ घटाव कर देखा जाये तो ब्लॉग पर प्रकाशन का समय १ मार्च का लगभग प्रात: ११ बजे का आता है-
आभार आदरणीय-
जबकि यहाँ यह १०.४५ पर ही प्रकाशित हो चुकी थी-
आगे से और लंबा अंतर रखने की कोशिश करूंगा |
सादर
01 march 2.41 dikha raha hai-
shaayad shanka ka samaadhaan ho jaaye aapkaa-
आपका यह सचित्र कमेन्ट अभी प्रकाशित किया है अपनी पोस्ट पर -
जरा समय चेक कर लें-
२१.४९ यह शायद वैश्विक समय दर्शा रहा है-
आदरणीय -
पुन: मेरे ब्लॉग पर आयें और निश्चिन्त हो लें-
यह सेटिंग ठीक करने में असमर्थ हूँ-
महोदय, आभार-
दिनभर में जो रचनाएँ करता हूँ-
उनमे से कुछ श्रेष्ठ रचनाएँ
OBO पर प्रकाशित करता हूँ-
उसके बाद अपने ब्लॉग पर-
प्रकाशन समय देखने का कष्ट करें-
वैसे आपकी जानकारी के लिए मेरे अकेले के पांच ब्लॉग हैं-
उनके लिए ही रचनाएं पूरी करने की कोशिश करता हूँ-
एक बुरी आदत है मेरे में-
रचना रचने में ५ मिनट लगता हूँ और दुबारा बहुत कम देखता हूँ-
जल्दबाजी का शिकार हूँ-
फिर भी यह रचना सौ प्रतिशत मौलिक और अप्रकाशित थी-
रचना अच्छी है, रचनाकार को शुभकामना !
एडमिन जी @ क्या आप संतुष्ट है कि यह रचना पूर्व प्रकाशित नहीं है ? यह रचना ओपन बुक से पहले ब्लागस्पाट पर प्रकाशित है । जबकि रचनाकार महोदय ने "मौलिक / अप्रकाशित" सबसे ऊपर लिख रखा है ।
आभार आदरणीय ||
आभार आदरेया |
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