For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जजिया कर फिर जिया, जियाये बजट हालिया-

 

मौलिक / अप्रकाशित

करकश करकच करकरा, कर करतब करग्राह ।
तरकश से पुरकश चले, डूब गया मल्लाह ।
डूब गया मल्लाह, मरे सल्तनत मुगलिया ।
जजिया कर फिर जिया, जियाये बजट हालिया ।
धर्म जातिगत भेद, याद आ जाते बरबस ।
जीता औरंगजेब, जनेऊ काटे करकश ।

करकश=कड़ा करकच=समुद्री नमक
करकरा=गड़ने वाला
कर = टैक्स
करग्राह = कर वसूलने वाला राजा

Views: 815

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रविकर on March 1, 2013 at 4:18pm

अब अगर जोड़ घटाव कर देखा जाये तो ब्लॉग पर प्रकाशन का समय १ मार्च का लगभग प्रात: ११ बजे का आता है-
आभार आदरणीय-
अब अगर जोड़ घटाव कर देखा जाये तो ब्लॉग पर प्रकाशन का समय १ मार्च का लगभग प्रात: ११ बजे का आता है-
आभार आदरणीय-
जबकि यहाँ यह १०.४५ पर ही प्रकाशित हो चुकी थी-
आगे से और लंबा अंतर रखने की कोशिश करूंगा |
सादर

Comment by रविकर on March 1, 2013 at 4:14pm

01 march 2.41 dikha raha hai-

shaayad shanka ka samaadhaan ho jaaye aapkaa-

Comment by रविकर on March 1, 2013 at 4:12pm

आपका यह सचित्र कमेन्ट अभी प्रकाशित किया है अपनी पोस्ट पर -
जरा समय चेक कर लें-

Comment by रविकर on March 1, 2013 at 4:11pm

२१.४९ यह शायद वैश्विक समय दर्शा रहा है-
आदरणीय -
पुन: मेरे ब्लॉग पर आयें और निश्चिन्त हो लें-
यह सेटिंग ठीक करने में असमर्थ हूँ-

Comment by रविकर on March 1, 2013 at 4:09pm

यह समय की सेटिंग का मामला है-
अभी तुरंत एक पोस्ट की है यहीं पर उसका टाइम भी देखें-

Friday, 1 March 2013

Comment by Sanjay Kumar Singh on March 1, 2013 at 4:05pm

Comment by रविकर on March 1, 2013 at 3:53pm

महोदय, आभार-
दिनभर में जो रचनाएँ करता हूँ-
उनमे से कुछ श्रेष्ठ रचनाएँ
OBO पर प्रकाशित करता हूँ-
उसके बाद अपने ब्लॉग पर-
प्रकाशन समय देखने का कष्ट करें-
वैसे आपकी जानकारी के लिए मेरे अकेले के पांच ब्लॉग हैं-
उनके लिए ही रचनाएं पूरी करने की कोशिश करता हूँ-
एक बुरी आदत है मेरे में-
रचना रचने में ५ मिनट लगता हूँ और दुबारा बहुत कम देखता हूँ-
जल्दबाजी का शिकार हूँ-
फिर भी यह रचना सौ प्रतिशत मौलिक और अप्रकाशित थी-

Comment by Sanjay Kumar Singh on March 1, 2013 at 3:45pm

रचना अच्छी है, रचनाकार को शुभकामना !

एडमिन जी @ क्या आप संतुष्ट है कि यह रचना पूर्व प्रकाशित नहीं है ? यह रचना ओपन बुक से पहले ब्लागस्पाट पर प्रकाशित है ।  जबकि रचनाकार महोदय ने "मौलिक / अप्रकाशित" सबसे ऊपर लिख रखा है ।

Comment by रविकर on March 1, 2013 at 3:25pm

आभार आदरणीय ||

Comment by रविकर on March 1, 2013 at 3:25pm

आभार आदरेया |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश , ग़ज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
3 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
10 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
10 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
10 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
10 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service