For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हास-परहास :मग में बीचो बीच, सिंह दमदार डटा था

मौलिक - अप्रकाशित

खर्राटों के बीच में, सोया आँखें मीच |
पता नहीं किस तरफ से, देह दबाया नीच |


देह दबाया नीच, सींच कर खेत हटा था-
मग में बीचो बीच, सिंह दमदार डटा था |


रविकर मांगे भीख, किन्तु स्वर जाए भर्रा |
निकली लम्बी चीख, थमाती पत्नी खर्रा ||

Views: 431

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on March 2, 2013 at 6:32pm
कुछ लिखा तो है आपने पर भावार्थ पकड़ में नही आ रहा ।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 2, 2013 at 6:01pm

हे दइवा.. .  क्या कह गुजरे, आदरणीय !?

न किया करें ऐसे प्रेषण.. ..

शुभ-शुभ..

Comment by रविकर on March 2, 2013 at 3:59pm

असामान्य मानसिक अवस्था में रचना की गई है-
खीज क्षोभ और हड़बड़ी-
इसीलिए तारतम्य बिगड़ा हुआ है
ऐसी रचनाओं को पोस्ट करने से बचने की कोशिश रहेगी आदरणीय-
सादर -


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 2, 2013 at 3:55pm

ए भाई,  ई त न बुझाया हमको.. . आ जे बझाया है.. ऊ हम बोलेंगे नहीं..   :-))))

अब तनिका अपनी बुझाहट हमहुँओं को बताइये .. 

हा हा हा हा.. . :-)))))))))))

आदरणीय रविकर जी,  इस कुण्डलिया के इंगित वाकई दुरूह निकले मेरे लिए..  

सादर

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 1, 2013 at 7:31pm
आदरणीय रविकर जी!एक धृष्टता करना चाहता हूं।बंधु रचना का कथ्य एवं उद्देश्य मैं नहीं समझ पा रहा हूं।हास परिहास केवल अंतिम पंक्ति में देख पा रहा हूं।कृपया स्पष्ट करने का प्रयास करें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय उस्ताद-ए-मुहतरम साहिब को सादर अभिवादन "
39 minutes ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"सबका स्वागत है ।"
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . रोटी

दोहा पंचक. . . रोटीसूझ-बूझ ईमान सब, कहने की है बात । क्षुधित उदर के सामने , फीके सब जज्बात ।।मुफलिस…See More
7 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा पंचक - राम नाम
"वाह  आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही सुन्दर और सार्थक दोहों का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
दिनेश कुमार posted a blog post

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार ( गीत )

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार( सुधार और इस्लाह की गुज़ारिश के साथ, सुधिजनों के…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

दोहा पंचक - राम नाम

तनमन कुन्दन कर रही, राम नाम की आँच।बिना राम  के  नाम  के,  कुन्दन-हीरा  काँच।१।*तपते दुख की  धूप …See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, पद प्रवाहमान हो गये।  जय-जय"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service