मेरे सामने की सीट पर एक युवती और एक अधेड़ उम्र के पुरुष बैठे हुए थे तथा मेरी सीट पर भी मेरे इलावा एक सहयात्री बैठा था । ऊपर की सीट पर भी दो लोग सोये थे । युवती अपने बगल के यात्री से बोली, "अंकल आप किनारे होकर बैठें तो मैं जरा लेट लूँ ।" और वो कम्बल शरीर पर डाल कर लेट गयी । ऊपर की सीट से एक यात्री के उतरते ही मैं भी ऊपर की सीट पर जाकर लेट गया। मेरा गंतव्य सुबह सात से पहले नहीं आने वाला था अतः मैं आँख बंद सोने का प्रयास करने लगा । कब नींद लग गयी पता ही नहीं चला ।
Comment
वाह गणेश...हर कहानी को नया अंदाज देने में माहिर हो. इस कहानी में एक अंकल को चपत पड़ी...पड़ते ही पेट का दर्द गायब हो गया होगा. तरीका फास्ट और दवा की कामयाबी.....हा हा हा
आदरणीय लडिवाला जी, आदरणीय खालसा साहब, प्रिय संदीप पटेल जी,आप सबको यह लघुकथा अच्छी लगी इसके लिए मैं आभारी हूँ , ऐसे ही स्नेह बनाये रखें । सादर ।
आदरणीय रविकर जी, प्रतिक्रिया स्वरुप प्राप्त कुंडली यह बताने में समर्थ है कि यह लघुकथा आपके ह्रदय को स्पर्श करने में सफल रही, इसका लिंक आपने अपने ब्लागस्पाट पर भी दिया इसके लिए बहुत बहुत आभार ।
आदरणीय कुण्डलिया अच्छी बनी है, बधाई भी स्वीकार करें ।
आदरणीया डॉ प्राची जी, लघुकथा आपको अच्छी लगी, प्रयास सार्थक हुआ , सादर आभार ।
प्रिय किशन कुमार जी
प्रिय राम शिरोमणि जी
आप सब को कथा रूचि , यह जान अच्छा लगा, सादर आभार ।
आदरणीया मीना पाठक जी, लघुकथा को सराहने हेतु आभार ।
आदरणीय प्रदीप कुशवाहा जी, आशीर्वाद हेतु आभार, स्नेह बना रहे ।
आदरणीय सौरभ भईया जी, लघुकथा पर विस्तृत व समीक्षात्मक आशीर्वाद स्वरुप टिप्पणी पाकर मुग्ध हूँ , ऐसी टिप्पणियाँ निश्चित ही लेखक का मनोबल बढ़ाने में सहायक होती हैं । बहुत बहुत आभार, अनुज पर स्नेह वर्षा होती रहे, सादर ।
ha ha ha yah chatak to jab tab baj jane chahiye taki pet me dard na uthe .. itna housla har yuvti me hona chahiye .. badhiya laghukatha Ganesh bhiya badhai .. kahani ke madhym se housla prstut karne ka
..युवती ने बिलकुल सही जवाब दिया!...एक प्रेरक लघुकथा!...बहुत बहुत बधाई गणेश जी बागी!
badiya ilaaz kiya ..yahi hona bhi chahiye tha..badiya laghukatha...
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