मैं महिलाओं और बच्चियों को शुभकामना देती हूँ कि जरूर समाज में जल्दी ही एक साकारात्मक परिवर्तन आएगा, जब पुरुष महिला दो अलग इकाई नहीं बल्कि इस देश के और समाज के बराबर नागरिक होंगे, और घर में भी लड़की लड़के को बराबर दर्जा मिलेगा |
और उनके लिए शुभकामना सन्देश ---
वो खिले रहें फूलों की तरह
वो बहा करें खुशबू की तरह
जो चार जुबां होंठों पर चढ़े
छन छन की तरह घुंघुरू से बजें|
वो देखे जिधर हरियाली खिले
वो रक्खे कदम खुशहाली बढे
रस सुख का निचोड़ गमक्षार करें
खुशियों में इजाफा हज़ाअर करें |
वो नारी ही नहीं वो राम बने
जो बुत बनी हैं उन्हें तार करें|
कोई चीर हरण अब हो न सके
वो खुद के भीतर इक कृष्ण जनें|
वो निर्णय का अभिप्राय बनें
और मील का पत्थर उनसे बनें|
वो स्वअभिमान के साथ जियें
आजाद गगन में परवाज भरें |
घर की खुशियों का वो सार बनें
और देश जहाँ का सरताज बनें
फिर न सिसकियों की आवाज घुटे
स्त्री पुरुष अब इक साथ चलें |
................. नूतन
Comment
कोई चीर हरण अब हो न सके
वो खुद के भीतर इक कृष्ण जनें|.. . .
बहुत-बहुत बधाई. .आदरणीया
भावमय उक्तियों से सबल भविष्य के प्रति आश्वस्ति के प्रति आग्रही आपकी यह रचना, नूतनजी, सकारात्मक माहौल को तारी करती है.
इन पंक्तियों ने पूरी रचना सार प्रस्तुत किया है -
कोई चीर हरण अब हो न सके
वो खुद के भीतर इक कृष्ण जनें|.. . .
बहुत-बहुत बधाई. .
शुभेच्छाएँ
काश जल्दी ऐसा हो जाए धन्यवाद आपको भी आदरणीया एवं शुभकामनायें आज के दिवस की
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