गणात्मक “मनहरण घनाक्षरी “
(रगण जगण)x2 +रगण+लघु, (रगण जगण)x2 +रगण
(चार चरण प्रति चरण ३१ वर्ण १६,१५ पर यति)
आन बान शान ध्यान, में रखे उठो जवान
मान देश का घटे न, स्वाभिमान लाइए
कर्मशील धीर वीर, सत्य मार्ग में रुके न
काम क्रोध मोह त्याग, धर्म को बढाइये
भूल लोक-लाज धर्म, जो हुआ युवा अचेत
रीत प्रीत शंख फूंक, नींद से जगाइए
लाज नार की लुटे न, देवियाँ यही महान
नारियाँ पुनीत पूज्य, देश में बचाइए
संदीप पटेल “दीप”
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
अय-हय, हय-हय !!! .. ग़ज़ब-ग़ज़ब-ग़ज़ब ! .. क्या मनहरण कवित्त प्रस्तुत किया है .. वाह-वाह !
क्या प्रवाह .. क्या संयोजन !.. बहुत-बहुत खूब, संदीप भाईजी.. शिल्प हेतु दिल से बधाई स्वीकार करें...
कहन और तथ्य को आज के हिसाब से कसिये अब .. :-)))
एक बात :
सूत्र तो ठीक बनाया है आपने .. लेकिन चार चरण प्रति चरण ३१ वर्ण १६,१५ पर यति का वस्तुतः क्या अर्थ निकलता है, इसपर सोचा है, भाईजी ?
कवित्त या घनाक्षरी के एक पद में चार चरण और ऐसे-ऐसे चार पद कहें तो पढ़ने-समझने वालों को सहुलियत भी हो. अनावश्यक क्लिष्टता किस लिये, भाई ?
जो चरण को पद और पद को चरण कहने का घालमेल करते हैं उन्हें या ऐसी पुस्तकों को उनके हाल पर छोड़ दें न भाईजी. यह अवश्य है कि कई पुराने विद्वान ८,८,८,७ की यति नहीं मानते थे. अ हम उन्हें हने दें न.. क्योंकि पाठ के क्रम में यही यति आपरूप बनती है. भले पद १६,१५ इकटे क्यों न हों.
शायद हम बिगाड़ नहीं कर बैठे न ? ..
शुभ०शुभ
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online