For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")



शोभना जितनी सुन्दर थी उतनी ही बेबाक और गर्वीली भी थी. वह अमरीका से उच्च शिक्षा प्राप्त थी. होम मिनिस्ट्री में बहुत ही ऊँचे पद पर आसीन थी. उसे शादी नाम से बहुत चिढ़ थी. जब वह पैंतीस साल की हो गयी तो एकदिन उसके पिता ने उससे कहा- “ शोभना ! अगर तुम्हें कोई पसंद हो तो बता देना मैं तुम्हारी शादी उसीसे कर दूँगा. ”
शोभना ने भी सोचा अब शादी कर ही लेनी चाहिये. अतः अपने पिता से बोली – “ठीक है पिता जी, लेकिन मुझे मेरे ही ग्रेड का वर चाहिये. ’’
शोभना स्वयं अपने वर की तलाश करने लगी. लेकिन उसे निराशा ही हाथ लगी.
जिन्होंने शादी का प्रस्ताव रखा वे या तो बाल-बच्चे वाले विधुर थे या जो उसके लायक थे उन्होंने यह कहकर इंकार कर दिया कि उसकी उम्र ज़्यादा है. जो मिल रहे थे उनकी न तनख्वाह और न ही डिग्री मेल खाती थी.

समय गुजरता जा रहा था. शोभना को भी महसूस होने लगा कि एक जीवनसाथी की बेहद ज़रूरत है. मगर वह अपने अभिमान और ज़िद्द पर अड़ी रही . .. . .और एक दिन ऐसा वक्त आया जब उसने यह महसूस किया कि उसकी तमन्ना तमन्ना ही रह जायेगी.
अकेलापन उसका सारा जीवन अजगर की तरह निगल गया. इस भरी दुनिया में एक अंधेरे कोने के सिवाय कुछ नहीं बचा. वह चीख चीख कर लोगों से कुछ कहना चाहती थी मगर क्या कहे.
जब कहने का वक्त था तब आडम्बर का लबादा इतना भारी था कि चाह कर भी उठा नहीं पायी थी.
अब जब अपनी मानसिक वृत्तियों को अपने हाव-भाव से प्रदर्शित करना चाहती है तो लोग तरस खाकर कहते हैं – “ बेचारी अकेली औरत पागल हो गयी है.”

.

Views: 642

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shanno Aggarwal on April 1, 2013 at 3:32am

कुंती जी, बात आपकी सही है कि जीवन में अकेलेपन को सहना भी बड़ा कठिन होता है. आपने अपनी लघु कथा में इस पर बहुत खूबी से जिक्र किया है. मेरे कहने का मतलब सिर्फ ये था कि कई बार इस अकेलेपन के भयावह को खत्म करने के बाद भी कई लोगों का जीवन और तरह से भयावह बन जाता है. ये जीवन भी बड़ा विकट है.   .  

Comment by vijay nikore on March 31, 2013 at 7:18am

आदरणीया कुंती जी:

 

क्या सही है, क्या सही नहीं है ... इसी सोच से

मानसिक वृत्तियों को जगाती इस लघु कथा के लिए बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 31, 2013 at 5:51am

आस-पास की या रोज़मर्रा की घटनाओं से बिम्ब ले कर हुआ रचनाकर्म समाज की धड़कन को ही बयान करता है.

कहानी का विस्तार सहज है. यह भी अवश्य है कि कथानक में कसावट आते-आते आयेगी, लघुकथा के वर्तमान प्रस्तुतिकरण को मूल पोस्ट से मिलान कर देखियेगा, प्रस्तुतियों का मानक साधने में आसानी होगी. 

लघुकथा हेतु बधाई, आदरणीया.

Comment by coontee mukerji on March 31, 2013 at 1:28am

शन्नो जी यह एक लम्बी बहस है. शादी के लड्डू का नहीं अकेलेपन का है. एक सचाई जो बेहद भयावह होता है. इंसान जब किसीके

साथ पाने के लिये तरस जाता है.आपका बहुत बहुत शुक्रिया.

 

Comment by Shanno Aggarwal on March 27, 2013 at 8:59pm

कहानी का मंतव्य अगर बिन शादी के अकेले रह जाने से दुखी होने का है तो अच्छी है. 

लेकिन ये जीवन भी बड़ा अजीब है. जो शादी के लड्डू खाए वो पछताये और जो ना खाये वो भी. 

कोई जरूरी नहीं कि इस दुनिया में हर कोई जीवन साथी पाकर खुश ही हो. आजकल तमाम लोग अविवाहित रहकर शादी शुदा लोगों के जीवन की समस्यायों को देखकर अपने को लकी समझते हैं :) 

Comment by राज लाली बटाला on March 26, 2013 at 1:19am

अच्छा प्रयास है ! 

सवाल बहुत बड़ा है !! क्या अकेला आदमी/औरत सच में पागल हो जाते हैं !! 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"मुशायरे की अच्छी शुरुआत करने के लिए बहुत बधाई आदरणीय जयहिंद रामपुरी जी। बदलना ज़िन्दगी की है…"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी, पोस्ट पर आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आयासफर कब मंजिलों से याद आया।१।*हमें …"
8 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय नीलेश जी सादर अभिवादन आपका बहुत शुक्रिया आपने वक़्त निकाला मतला   उड़ने की ख़्वाहिशों…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया अभी ज़िंदा हैं मेरी हसरतें भी तुम्हारी…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. शिज्जू भाई,,, मुझे तो स्कॉच और भजिये याद आए... बाकी सब मिथ्याचार है. 😁😁😁😁😁"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तुम्हें अठखेलियों से याद आया मुझे कुछ तितलियों से याद आया  टपकने जा रही है छत वो…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय दयाराम जी मुशायरे में सहभागिता के लिए हार्दिक बधाई आपको"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय निलेश नूर जीआपको बारिशों से जाने क्या-क्या याद आ गया। चाय, काग़ज़ की कश्ती, बदन की कसमसाहट…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, मुशायरे के आग़ाज़ के लिए हार्दिक बधाई, शेष आदरणीय नीलेश 'नूर'…"
12 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"ग़ज़ल — 1222 1222 122 मुझे वो झुग्गियों से याद आयाउसे कुछ आँधियों से याद आया बहुत कमजोर…"
13 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"अभी समर सर द्वारा व्हाट्स एप पर संज्ञान में लाया गया कि अहद की मात्रा 21 होती है अत: उस मिसरे को…"
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service