मुझे आज ही ज्ञात हुआ की 1 अप्रैल 2013 को ओबीओ की
तीसरी वर्ष गाँठ है। तीन वर्षो में इस मंच ने मुझ जैसे सैकड़ों लेखको को तैयार किया
है | इस अवसर पर दोहों के रूप में सभी सदस्यों में सहर्ष पुष्प समर्पित है ।-
बढे साथ का हाथ
वर्षगाँठ है तीसरी, ओ बी ओ की आज,
मन की कलियाँ खिल उठीं,देख ख़ुशी का राज
खुशबू यह फैला रहा, सौरभ है चहुँ ओर,
ई-पत्रण के मंच पर,ओ बी ओ सिरमौर ।
ऋतु बसंत के मध्य ही, बागी लाये साज,
योगराज के यत्न से, नित सजता यह काज ।
सब ओ बी ओ में मिले, इक दूजे के संग,
हर दिल में खिलते यहाँ, प्रेम प्रीत के रंग ।
काव्य विधा सब सीखते,विज्ञजनों के संग,
प्रेम और सहयोग से, होता नित सत्संग ।
काव्य विधा के पारखी, गजल पढ़े सब साथ,
छंद रचें मनभावना, बढे साथ का हाथ ।
दूर देश से जुड़ रहे, नित बढ़ता आकार,
रखते ध्यान संस्कृति का, रचें सभी रसधार ।
- लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला,जयपुर
Comment
आदरणीय लक्ष्मण जी क्या बेहतरीन वर्णन किया आपने
परिवार के तृतीय जन्मदिवस पर सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं ।
सत्य कहा -
खुशबू यह फैला रहा, सौरभ है चहुँ ओर,
ई-पत्रण के मंच पर,ओ बी ओ सिरमौर ।
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