Comment
कुंडलियाँ छंद द्रष्टि डालकर टिप्पणी करने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय श्री सौरभ पाण्डेय जी
आपकी कुण्डलिया छंद रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी.. .
सादर
सच के साहस पर रची कुंडलिया छंद पसंद कर सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार श्री योगी सारस्वत जी
यूँ ही स्नेह बनाए रखे, शुभम
कह लक्ष्मण कविराय,जुटाले साहस सच का
वाह
जी, अशोक जी. प्रथम दोहे के सैम चरण को "नीता असली मान" संशोधित करना भूल गया, फिर पोस्ट होने के
बाद महोत्सव-30 के आयोजन में एडिट करना भूल गया | दुसरे छंद में मै यह कहना चाह रह था कि सच बोलने
वाले को इस दुनिया में साथ नहीं मिलता और तनहा रहना पड़ता है | "तनहा वह रह जाय" से पाठक सुगमता
से समझ सकेंगें, आपका सुझाव उचित है |उचित मार्ग दर्शन एवं कुंडलियों के भाव पसंद करने के लिए आपको
बहुत बहुत आभार श्री अशोक रक्ताले जी
आदरणीय लड़ीवाला साहब सादर प्रणाम, सुन्दर कुण्डलिया छंद लिखे हैं. बधाई स्वीकारें.
प्रथम छंद में सम चरण को ज्यों का त्यों ही रखते हैं किन्तु आपने कुछ उलट पुलट कर दिया है.
द्वितीय दोहे के प्रथम पद का अर्थ नहीं निकल रहा है. इसे हम ऐसा कहें " सच का साहस जो करे, तनहा वह रह जाय," तो कैसा रहे.
हार्दिक आभार आपका श्री राजेश कमार झा साहब, अभी तो सीखने के ही प्रयास में हूँ राजेश जी
हार्दिक आभार आपका आदरणीया मीना पाठक जी
आदरणीय लड़ीवाला जी बहुत सुंदर प्रयास हुआ है । आपकी सबसे बड़ी विशेषता यही है कि आप सतत प्रयत्नशील रहते हैं, सादर
छंद और कुंडलियों का मुझे कोई ज्ञान नही है पर पढ़ के अच्छा लगा आदरणीय .. बधाई
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online