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नव-संवत्सर की- - - - लक्ष्मण लडीवाला

नव-संवत्सर कीशुभ कामनाए

-लक्ष्मण लडीवाला 

 

बीत गया वर्ष विगत,नव संवतसर आया, 

गत का आकलन कर,आगे अवसर लाया।

 

स्व का गत रहा कैसा, स्व हो अब कैसा,

करे नवा कुछ ऐसा, हो दो पग आगे जैसा।

नव-संवत्सर का प्रारम्भ होता दुर्गा पूजा से,

घट-स्थापना, उगा नया धान नए जवारे से ।

   

शक्ति की प्रतिक मान करते देवी कि पूजा,

प्रेरणा स्वरूप है देवी,मिलती जिनसे ऊर्जा |

जिसके बिना चल न सके दुनिया का पहिया,

संकल्प करे समझे न उसे दुष्कर्म का जरिया । 

नव वर्ष नया काज हो,बने प्रगति का आधार,

नव स्फूर्ति भर तन में, हो चेतना का संचार। 

नए जोश के साथ करे,काम की शुभ शुरुआत,

तरोताजगी भर मन में,नित कर शुभ प्रभात ।

(2) नव-संवत्सर की मंगल कामनाए,

   पर कलम साथ में ये चेतावनी लाए-

 

संवत्सर का हो स्वागत सब करे किन्तु

सनातन धर्म के प्रति आस्था भी रखे |

                                                                              

प्रयोग करे नव चेतना हो जाग्रत किन्तु

स्थापित परम्पराओ का भी मान रखे |

सभी धर्मो का आदर व् सद्भाव रखे,परन्तु

स्वधर्म में द्रड़ आस्था रख पालन करे |

सभी धर्मो का आदर व् सद्भाव रखे,परन्तु

सभी स्वधर्म में द्रड़ आस्था रख पालन करे |

शासन के नियमो का हो पालन,  किन्तु

मानवीय विरोधी क़ानून न अंगीकार करे |

इति शुभम

नव संवत्सर,२०७० पर सभी को हार्दिक मंगल कामनाए

-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला 

 

 

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 16, 2013 at 3:42pm

नव संवत्सर पर रचना सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार श्री योगी सारस्वत जी, पुनः शुभ कामनाए 

Comment by Yogi Saraswat on April 16, 2013 at 11:25am

संवत्सर का हो स्वागत सब करे किन्तु

सनातन धर्म के प्रति आस्था भी रखे |

                                                                              

प्रयोग करे नव चेतना हो जाग्रत किन्तु

स्थापित परम्पराओ का भी मान रखे |

सभी धर्मो का आदर व् सद्भाव रखे,परन्तु

स्वधर्म में द्रड़ आस्था रख पालन करे |

आपको भी नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएं आदरणीय श्री लक्ष्मन प्रसाद जी

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 13, 2013 at 9:11am

श्री अशोक रक्ताले जी, नव संवत्सर, गुडी पडवा, चेटी-चड की मंगल कामनाए, इस अवसर पर प्रस्तुत रचना 

प्रयास को सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार 

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 12, 2013 at 11:40pm

सभी धर्मो का आदर व् सद्भाव रखे,परन्तु

स्वधर्म में द्रड़ आस्था रख पालन करे |................बिलकुल सही.

आदरणीय लड़ीवाला साहब सादर प्रणाम, नव संवत्सर पर सुन्दर प्रस्तुति हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 11, 2013 at 5:53pm

रचना के भाव पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार श्री संदीप कुमार पटेल जी, भाई संदीप जी मुझे काव्य में तो 

बड़ा नहीं छोटा ही समझे | सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 11, 2013 at 5:49pm

रचना पसंद करने के लिए हार्दिक आभार श्री केवल प्रसाद जी, हार्दिक मंगल कामनाए 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 11, 2013 at 10:50am

आदरणीय लक्षमन सर जी सादर प्रणाम
आपको भी इस भाव पूर्ण रचना की बधाई सहित  नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ
आदरणीय आपके भाव समसामयिक होते हैं
और गहरा प्रभाव भी डालते हैं किंतु आप शिल्प को छोड़ आगे बढ़ जाते हैं ये बात खलती है कृपया शिल्प साधने की कोशिश करें
ये आपका ही मंच है और आप बड़ों से सभी अपेक्षा रखते हैं
स्नेह और आशीष बनाए रखिए

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 11, 2013 at 8:17am

आ0 लड़ीवाला जी, सुप्रभात! अतिसुन्दर ’नए जोश के साथ करे, काम की शुभ शुरुआत!
तरोताजगी भर मन में, नित कर शुभ प्रभात’ तथा ’शासन के नियमो का हो पालन, किन्तु
मानवीय विरोधी क़ानून न अंगीकार करे’। बहुत ही सुन्दर बात, आपको बारम्बार प्रणाम!। हार्दिक बधाई हो, सादर!

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