For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्यास है

लरजते होंठों में

आज भी वही

जब कहा था तुमसे

मैं प्यार करता हूँ

और देखा था

खुद को

तुम्हारी आँखों से

पागल सा

दीवाना सा

कुछ पल बाद

वो झुकीं

और इक मीठी सी सदा

हट पागल

जाता हूँ

आइने के सामने

देखने वही

अक्स

लेकिन धुंधला

हो जाता है

मुझे याद है अब भी

जब तुमने

झांका था

मेरी आँखों में

थामा था

सिरहन भरा

मेरा हाथ

अपने नाजुक से

हाथों से सहमते हुए 

और कहा था

सच !!!

कभी साथ तो न छोड़ोगे !!!!!

और खिल उठी थी

मेरी बंजर जमी

गुलशन गुलशन

गुलजार

आज भी

हाँ आज भी

यहाँ नमी है

लेकिन  

बंजर है ये जमी

एक बार फिर

 

दरो दीवार

चीखते हैं

बर्तन बर्तन

कराहता है

जब मैं उठता हूँ सुबह

तुम्हारे बिन

बिस्तर

नस्तर हुआ जाता है

गुदाज तकिया

पत्थरों सा

सख्त

सर पटक

पडा रहता हूँ

इंतज़ार में

आने वाली

तन्हा शाम के  

और कातिल रात

जो दम घोंटती है

चाँद सितारों की भीड़ में

सन्नाटों में

कभी कभी

सुनाई दे जाती है

सुबकने की आवाजें

दफ्फतन

ताकता हूँ

अगल बगल

दीवारों के कान जो होते हैं

टटोलने लगता हूँ

एक बेजान की

रग- रग

जिससे ले लेता हूँ

पल पल की जानकारी

लेकिन एहसास

सूखे के सूखे

 

यादों का सिलसिला

रुकने का नाम नहीं लेता

बारिश होने लगती है

आ जाती है बाढ़

सब बह जाता है

हर ओर

सूखा ही सूखा

बंजर ही बंजर

तुम बिन

 

संदीप पटेल “दीप”

  

 

Views: 733

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 12, 2013 at 1:22pm

आदरणीय गुरुदेव सौरभ सर जी सादर प्रणाम
आपसे सराहना पाने का अर्थ है लेखन के प्रयास में सफल होना
रचना के बिंबों ने आपको प्रभावित किया
और आपसे आशीर्वाद मिला
ये स्नेह और आशीष यूँ ही बनाए रखिए
सादर आभार आपका

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 12, 2013 at 1:20pm

आदरणीय राम भाई सादर
आपको रचना पसंद आई और आपसे सरहना मिली
इसके लिए आभार आपका
स्नेह यूँ ही बनाए रखिए

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 12, 2013 at 1:19pm

आदरणीया सीमा जी सादर प्रणाम
रचना की सराहना और उत्साहवर्धन हेतु आपका बहुत बहुत आभार
स्नेह यूँ ही बनाए रखिए

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 12, 2013 at 1:14pm

आदरणीय विजय सर जी सादर प्रणाम
आपकी सराहना पाना मेरे लिए उपहार स्वरूप है
ये स्नेह यूँ ही बनाए रखिए
सादर आभार आपका

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 12, 2013 at 1:14pm

आदरणीया कुंती जी सादर प्रणाम
रचना को आपने पसंद किया और उत्साहवर्धन किया
इसके लिए आपका बहुत बहुत आभार स्नेह यूँ ही बनाए रखिए

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 12, 2013 at 1:12pm

आदरणीय डॉ प्राची जी सादर प्रणाम
आपसे मिली सराहना सर आँखों
आपका बहुत बहुत धन्यवाद
स्नेह यूँ ही बनाए रखिए अनुज पर

सिरहन ही मैने सुना है
आदरणीया
इसके आगे आपका सुझाव रचनाकर्म को बाल देगा

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 12, 2013 at 1:10pm

आदरणीय विजय जी सादर प्रणाम
रचना की पसनदगी के लिए आपका आभार
स्नेह यूँ ही बनाए रखिए
सादर

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 12, 2013 at 1:09pm

आदरणीय गणेश बागी सर जी सादर प्रणाम
रचना के भावों ने आपको छुआ
और आपकी सराहना पाकर लेखन सफल हुआ
स्नेह यूँ ही बनाए रखिए सादर आभार आपका

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 12, 2013 at 1:08pm

आदरणीय केवल जी सादर
रचना के भाव आपको पसंद आए और सरहाना मिली इसके लिए आपका आभार
स्नेह यूँ ही बनाए रखिए

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 12, 2013 at 1:07pm

आदरणीय लक्षमण सर जी सादर प्रणाम
इस सराहना और प्रेम हेतु आपका आभार
स्नेह यूँ ही बनाए रखिए

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service