===========ग़ज़ल===========
दर्द चेहरे पे नहीं भूल से लाया करिए
लुत्फ़ लेता है ज़माना ये छुपाया करिए
सच है हर बात तो फिर सामने आया करिए
आइने से यूँ निगाहें न चुराया करिए
हर कोई अपना नज़र तुमको भी आएगा
चंद लम्हों को सही “मैं” तो भुलाया करिए
चश्म में इश्क अगर देखना हो सच्चा तो
कोई मजलूम कलेजे से लगाया करिए
हो बड़े गर तो गरीबों को सहारा देकर
इस अमीरी को कभी आप भुनाया करिए
पत्थरों में है खुदा अब भी नहीं इंसां में
अपनी हर पीर किसी बुत को सुनाया करिए
बाद गिरने के फखत कोसना अच्छा तो नहीं
“दीप” फिर राह से पत्थर तो हटाया करिए
संदीप पटेल “दीप”
Comment
अच्छाई की सीख देती हुई एक सुन्दर ग़ज़ल है
आदरणीया राजेश कुमारी जी सादर प्रणाम
आपकी दाद ह्रदय से कुबूल है
स्नेह और आशीष यूँ ही बनाये रखिये सादर आभार आपका
दर्द चेहरे पे नहीं भूल से लाया करिए
लुत्फ़ लेता है ज़माना ये छुपाया करिए-----कुर्बान जाऊं ज इस मतले पर
हर कोई अपना नज़र तुमको भी आएगा
चंद लम्हों को सही “मैं” तो भुलाया करिए-----तारीफ के लिए शब्द नहीं
बाद गिरने के फखत कोसना अच्छा तो नहीं
“दीप” फिर राह से पत्थर तो हटाया करिए-----शानदार मकता
प्रिय संदीप बहुत पसंद आई ये ग़ज़ल दाद कबूलें
आदरणीय राम जी सादर
इस हौसलाफजाई के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
वाह संदीप भाई वाह -- बहुत बढ़िया गजल हुई है/////////////बधाई भाई संदीप पटेल जी
आदरणीय गुरुदेव ये स्नेह और आशीष यूँ ही बनाए रखिए सादर प्रणाम
पत्थरों में है खुदा अब भी नहीं इंसां में ..
भाई संदीपजी, यह मिसरा अब एकदम स्पष्ट है. पता नहीं क्यों मैं उलझ गया था ! या, सही कहिये, अपनी सीमों के पार नहीं जा पा रहा था. मैं अब इस अब भी को अब तो, अब तक किसी के समक्ष देख पा रहा हूँ.
स्पष्ट करने के लिए हार्दिक धन्यवाद.
आदरणीय गुरुदेव सौरभ सर जी सादर प्रणाम
अब भी का प्रयोग इसीलिए के, मूर्ति मे भगवान है और इंसान के अंदर भी भगवान है ये दोनों बातें कहते आए हैं हमारे शास्त्र
किंतु अब इंसान में ऐसा नहीं दिखता इसीलिए पत्थरों में अब भी की बात कही है
आपका मार्गदर्शन क्या है इस परिपेक्षय मे गुरुदेव अवश्य कहिएगा
आपका स्नेह और आशीष यूँ ही बनाए रखिए
आदरणीय लक्ष्मण सर जी , आदरणीय आशीष भाई, आदरणीय गुरुदेव सौरभ सर जी, आदरणीय विजय मिश्र जी सादर प्रणाम
इस हौसलाफजाई के लिए आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया और सादर आभार स्नेह यूँ ही बनाए रखिए
वाह संदीप भाई वाह --
चश्म में इश्क अगर देखना हो सच्चा तो
कोई मजलूम कलेजे से लगाया करिए | ----------- हर बंद बेहतरीन . बधाई लें
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