For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

(1)

विधि ने सुंदर गीत रचा,
अलि कुल स्वर सा यह गुंजन –
विश्व चराचर,
अविरत निर्झर,
श्वासों का यह स्पंदन.
कितना विस्मय,
कितना मधुमय,
कितना अनुपम,
मानव जीवन !
(2)
नक्षत्र खचित अम्बर में
किसके, उज्ज्वल स्नेह का प्रकाश ?
किसके इंगित पर मुस्काते हैं
यह धरती और यह आकाश ?
किसके सौरभ से
सुरभित यह मन,
अश्रु शिशिर,
नहीं क्रंदन !
किसके कर में क्रीड़ा करते
जीवन – मरण,
मरण – जीवन -
उसको अर्पित हो तन मन,
उसको अर्पित हो जीवन.
(3)
प्रांगण में हौले हौले
जब ऐसी मधुवात बहे,
जब ऐसे पुष्पों का हार
अपनी कोई बात कहे,
जब पराग पुलकित हो जाये –
प्रमोदित हो उठे चमन,
पीड़ा भी आनंद बने –
तब होगा कोई परिवर्तन
विकसित होगा
अवसादित मन
जीवन यौवन
हर कण हर क्षण.
(4)
जन्मदिन,
यह जन्मदिन है
स्मृतियों का पीला पतझर,
नए वसंत का आश्वासन औ’
कोमल पत्रों का मर्मर.
कौन भेजता
मौन निमंत्रण,
किसका यह सस्वर संकेत !
चंचल हो मन,
उज्ज्वल हो मन
मन ही तन है,
मन ही जीवन.

( मौलिक एवं अप्रकाशित रचना )

Views: 626

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 18, 2013 at 2:43am

आपका सादर आभार, आदरणीय, कि आपने मेरी समझ को हार्दिक मान दिया है.

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on April 18, 2013 at 2:37am

आदरणीय सौरभ जी, हार्दिक आभार स्वीकार करें. आपके प्रोत्साहन मूलक विवेचना ने मेरे तुच्छ प्रयास को एक नयी दिशा दी है - यह एक अर्वाचीन लेखक के लिये किसी भी पुरस्कार से कम नहीं. हृदय से आभारी हूँ.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 17, 2013 at 12:47am

विशेष भावदशा में उभरे आते शब्द एक वातावरण का निर्माण कर रहे हैं. उस वातावरण में होना जीवन की सुन्दरता को जीना है.

आपके इन भाव-शब्दों के लिए सादर बधाइयाँ, आदरणीय शर्दिन्दुजी.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on April 9, 2013 at 10:47pm

आदरणीया मीना जी एवं भाई राजेश जी, श्याम नारायण जी तथा पाठक जी, आप लोगों ने मेरी कविता पसंद की, प्रोत्साहन मिला. धन्यवाद.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on April 9, 2013 at 10:45pm

आदरणीया डॉ.प्राची, आपने मेरी कविता की आत्मा में झांक कर देखा है. यहीं मैं इस रचना की सार्थकता देखता हूँ. एक विदुषी द्वारा प्रशंसा के शब्द मेरे लिये पुरस्कार समान हैं. हृदय से आभारी हूँ.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 9, 2013 at 8:52pm

आपकी रचना के कथ्य की गहनता और शब्द भाव सांद्रता नें बहुत प्रभावित किया...

ज़िंदगी को करीब से सूक्ष्मता से महसूस करके लिखी गयी है ये रचना 

अविरत निर्झर,
श्वासों का यह स्पंदन.
कितना विस्मय,
कितना मधुमय,
कितना अनुपम,
मानव जीवन !..............श्वासों की सुर ले ताल पर ज़िंदगी की रागिनी..या बंद ..बहुत सुन्दर !

किसके कर में क्रीड़ा करते
जीवन – मरण,
मरण – जीवन -
उसको अर्पित हो तन मन,
उसको अर्पित हो जीवन.............क्या सुन्दर एहसास शब्द-बद्ध हुआ है अदृश्य सत्ता के प्रति , मन मुग्ध है 

हार्दिक बधाई स्वीकार करें इस सुन्दर प्रस्तुति पर.

Comment by राजेश 'मृदु' on April 9, 2013 at 4:58pm

तत्‍सम शब्‍दों के ताने-बाने से बुनी बड़ी सरस रचना आपने प्रस्‍तुत की है, बहुत भायी आपकी यह रचना, सादर

Comment by Meena Pathak on April 8, 2013 at 7:40pm

बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए 

Comment by ram shiromani pathak on April 8, 2013 at 6:29pm

आदरणीय शरदिंदु जी:सुन्दर शब्दावली !
सुन्दर कविता के लिए बधाई।

Comment by Shyam Narain Verma on April 8, 2013 at 10:47am

BAHOOT KHOOB JE......................................

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
14 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
19 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
20 hours ago
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
21 hours ago
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
23 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
yesterday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी , इस प्रयोगात्मक लघुकथा से इस गोष्ठी के शुभारंभ हेतु हार्दिक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"प्रवृत्तियॉं (लघुकथा): "इससे पहले कि ये मुझे मार डालें, मुझे अपने पास बुला लो!" एक युवा…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"स्वागतम"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service