For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

योग और राजनीति का अनुलोम-विलोम

देश के जाने माने योगगुरू बाबा रामदेव अब राजनीतिक पारी खेलने की तैयारी में हैं। योग की घुट्टी पिलाकर रोग भगाने के बाद अब वे राजनीति की खुराक देंगे। तमाम लोग भी चाहते हैं कि राजनीति में बढ़ती जा रही गंदगी पर रोक लगे या फिर उसका सफाया ही हो जाए। लेकिन क्या बाबा रामदेव की मंशा को पंख लग पाएंगे ?
आए दिन नई बीमारी, नए रोग और उसके निदान के लिए जूझते देश-विदेश के हजारों वैज्ञानिक, डाक्टर। ऐसे में बाबा रामदेव ने प्राचीन युग से चल रहे योग को लोगों के सामने पेश किया, जिसका नतीजा भी लोगों को देखने को मिला, लाखों लोगों ने योग अपनाया, प्राणायम, अनुलोम-विलोम किया, स्वस्थ भी हुए और देश-विदेश में बाबा रामदेव योगगुरू के रूप में छा गए। पतंजलि योगपीठ नाम की संस्था बनाकर अब देश भर में उन्होंने योग डाक्टर भी नियुक्त किए हैं और योग की क्लिनिक में लोग अपना रोग भगाने के लिए बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। यहां तक तो ठीक था, लेकिन राजनीति में आने का इरादा कुछ अटपटा सा है क्योंकि राजनीति का इतिहास देखा जाए तो इसका कालापन सदियों से बरकरार है। राजा-रजवाड़ों के दौर में सत्ता की कुर्सी हथियाने के लिए खूनी संघर्ष, धोखेबाजी, युध्द, गद्दारी और तमाम तरह के प्रपंच चलते रहे हैं। आजाद भारत में शुरूआती दौर की राजनीति भी कोई साफ सुथरी नहीं रही, यह हमने कई बार सुना हुआ है कि स्वतंत्र भारत के पहले मंत्रिमंडल में अधिकतर नेता लौहपुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल को प्रधानमंत्री बनाने के हिमायती थे, लेकिन महात्मा गांधी जिद पर अड़े रहे कि प्रधानमंत्री तो नेहरू जी ही बनेंगे। आखिरकार पंडित नेहरू ही प्रधानमंत्री बने। कहने का अर्थ सिर्फ इतना ही है कि अगर राजनीति को बाबा रामदेव आसान समझ रहे हैं तो यह शायद उनकी भूल होगी। क्योंकि राजनीति में सफलता के लिए क्या-क्या करना पड़ता है, लोग अब समझने लगे हैं। देश के राजनीतिज्ञों पर यह आरोप तो लगते रहे हैं कि चुनाव में करोड़ों रूपए देकर वोट खरीदे गए, इसलिए कुर्सी तक पहुंचे। लेकिन इसमें दोष सिर्फ उस नेता का ही है जो नोट देकर वोट खरीदते हैं, जनता इसमें शामिल नहीं ? देश की गरीब आबादी, रोजगार की समस्या से जूझते लोगों का चुनाव में नोट मिलते वक्त ईमान नहीं जागता कि अगर नोट लेकर वोट देंगे, तो इसका परिणाम भी हम ही भुगतेंगे ? इसके पीछे कुछ मजबूरियां हो सकती हैं या फिर स्वार्थ, जैसे कि यह दोबारा कब आएगा, इससे अच्छा है नोट ले लो, यही मौका है, जो दे रहा है, ले लो, चुनाव जीत गया तो फिर कुछ मिले न मिले। लेकिन चुनाव में सिर्फ गरीब-गुरबे भी नहीं मध्यम वर्गीय, अमीरों के भी अपने-अपने स्वार्थ होते हैं। मसलन चुनाव जीतने के बाद कहीं नौकरी मिलने की आस, रोजगार मिलने का लालच, तो कहीं करोड़ों रूपए के ठेके मिलने की चाहत होती है। कुल मिलाकर राजनीति का रंग अब भी स्याह ही है, न कि रंगबिरंगा, जिसे देखकर, महसूस करके किसी आम आदमी का मन खिल सके, आनंद महसूस कर सके। बाबा रामदेव ने अगर यह ठाना है कि वे राजनीति में आएंगे, तो इसके परिणामों को लेकर उन लोगों की उम्मीदें जाग गई हैं जो देश में अच्छी और साफ-सुथरी राजनीति के सपने देखते हैं, अपने प्रतिनिधियों को ईमानदार और जुझारू देखना पसंद करते हैं। लेकिन योग भगाए रोग की तर्ज पर राजनीति की घुट्टी आम जनता को पिलाना आसान न होगा, क्योंकि राजनीति, मोहब्बत और जंग में सब कुछ जायज है। योग और अनुलोम-विलोम करके लोग अपनी सांसों तथा मन पर नियंत्रण तो पा सकते हैं, कुछ बीमारियां भी दूर भगा सकते हैं। पर राजनीति के अनुलोम-विलोम से दागदार और भ्रष्टाचारी नेताओं को, किसी रोग की तरह बाहर का रास्ता दिखाना इतना भी आसान नहीं होगा। बाबा रामदेव की राजनीतिक पारी की सफलता के लिए सिर्फ ईमानदार और स्वच्छ छवि वाले नेता, कार्यकर्ता ही नहीं, बल्कि अपने स्वार्थों से परे, ईमानदार मन वाली, ईमानदार जनता भी चाहिए। क्यांेकि जनता के वोट ही प्रतिनिधि तय करते हैं, क्या ऐसा होना संभव है ?

Views: 604

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rash Bihari Ravi on March 5, 2011 at 2:23pm
गणेश जी आपकी बातो से सहमत हु मगर एक कहावत हैं लंका में जो भी हैं वो उनचास हाथ के हमें तो डर लगता हैं की बाबा रामदेव एंड पार्टी भी कही उनचास हाथ की न हो जाये
Comment by rajendra kumar on March 5, 2011 at 1:17pm
बाबा रामदेव अब योग गुरू के बजाय राजनीति के गुरू बनने की फिराक में हैं, इसीलिए तो उन्‍होंने अब अनुलोम विलोम और शीर्षासन को छोड्कर वोटासन शुरू कर दिया है, बाबा रामदेव अब अमेरिका की तर्ज पर चार साल पहले से ही लोकसभा चुनाव की तैयारी में पूरी तरह से जुट गए हैं, यही वजह है कि उन्‍होंने योगासन के लिए बनाए गए मंच को भी राजनीति से दूर नहीं रखा है, बाबा की जहां भी सभाएं होती है, वे केन्‍द्र सरकार को भ्रष्‍ट और रिश्‍वतखोरी में डूबा हुआ बताते है, मगर खुद कितने पाक साफ है, यह बताने में उनका पसीना छूट रहा है, इससे यह माना जा सकता है कि बाबा भी कही कम नहीं है, आखिर यह बात मानने की वजह भी लोगों के पास पर्याप्‍त है, क्‍योंकि पांच साल पहले जो बाबाजी एक टूटी सी साइकिल पर चलते थे, वे आज लाखों और करोडों की कार पर चढ् रहे है, इस विषय पर इसलिए बात की जा रही, चूंकि उन्‍होंने इन दिनों कालेध्‍ान को लेकर स्‍वाभिमान यात्रा छेड् रखी है, जबकि उनके टस्‍ट की संपत्ति से यह साबित होता है कि वे खुद सिर से पांव तक कालेध्‍ान में डूबे हुए हैं, यदि वे पाक साफ हैं तो अपनी संपत्ति की जानकारी देने से क्‍यों बचते फिर रहे हैं
Comment by Ratnesh Raman Pathak on November 21, 2010 at 6:34pm
रतन जी आपके कथन के अनुसार ठीक है की राजनीती आदि-अनादी काल से गन्दी रही है,और यह गंदे लोगो को ही सोभा देती है .अब जहा तक बात रामदेव बाबा की रही तो वो बेचारे एक योगी ठहरे और उनके बस की बात नही है यह.शायद यही तात्पर्य है इस लेख का.
लेकिन क्या हमने सोचा था की हमारा रोग योग से भी दूर हो सकता है ,और जब रामदेव बाबा अस्तित्व में आये तो ऐसा संभव हुआ .उसी प्रकार जहा तक मेरा मानना है ,की अगर वाकई में कोई इस देश के भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन छेड़ना चाहता है तो उसमे बुरा क्या है .....और जनता को समाज को ऐसे व्यक्ति को खुलकर कर साथ देना चाहिए.चलिए ठीक है रास्ता कठिन है लेकिन लेकिन चलनेवाला का हौसला बुलंद है तो फिर मौका अवस्य देना चाहिए.मैं ये भी मानता हूँ की पिछली बार रामदेव बाबा ने उत्तराखंड में १६ उम्मेदवार उतारे थे जिसमे १ भी जीत नहीं पाया था.लेकिन यह सही नहीं है .आज के दिवस में हर रोज एक नए घोटाले का नाम सामने आ रहा है.जिसको जहा मिल रहा है वही लूट रहा है.जिसका उदहारण स्पेक्ट्रम,आदर्श होउसिंग सोसाइटी,भूमि आवंटन,rashtramandal khel ,जैसे घोटाले de rahe है.magar kisi ने आज तक आन्दोलन नहीं chheda bhrastachar के खिलाफ .iska matlab saaf है की hum sab bhrastachari है ,hum khud नहीं chahte की हमारा देश bhrashtachario से mukt हो..तो अगर रामदेव iske खिलाफ andolan chhedana chahte है तो हर एक sabhya और immandar nagrik unka साथ dega और इस देश को bhrastachario से mukt karayega .यही हमारा farz

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 21, 2010 at 6:01pm
जहाँ पर सभी राजनीति पार्टियों मे कमोवेश अपराधियों का प्रवेश है और लोग राजनीति को गन्दगी समझने लगे है ऐसे मे बाबा रामदेव का राजनीती मे उतरने का विचार कही न कही दूर उम्मीद की किरण दिखा रहा है, और मुझे वो दिन दिख रहा है जहाँ राजनीती से अपराध का खात्मा हो सकता है, कहा जाता है कि किसी भी चीज का चरम अवस्था पतन का दोतक होता है , शायद वो चरम स्थिति आ गया है |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
54 minutes ago
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
4 hours ago
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
4 hours ago
Ravi Shukla commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत अच्छी गजल आपने कहीं करवा चौथ का दृश्य सरकार करती  इस ग़ज़ल के लिए…"
4 hours ago
Ravi Shukla commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेंद्र जी बहुत अच्छी गजल आपने कहीं शेर दर शेर मुबारक बात कुबूल करें। सादर"
4 hours ago
Ravi Shukla commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी गजल की प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत बधाई गजल के मकता के संबंध में एक जिज्ञासा…"
4 hours ago
Ravi Shukla commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय सौरभ जी अच्छी गजल आपने कही है इसके लिए बहुत-बहुत बधाई सेकंड लास्ट शेर के उला मिसरा की तकती…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर आपने सर्वोत्तम रचना लिख कर मेरी आकांक्षा…"
20 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे... आँख मिचौली भवन भरे, पढ़ते   खाते    साथ । चुराते…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"माता - पिता की छाँव में चिन्ता से दूर थेशैतानियों को गाँव में हम ही तो शूर थे।।*लेकिन सजग थे पीर न…"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे सखा, रह रह आए याद। करते थे सब काम हम, ओबीओ के बाद।। रे भैया ओबीओ के बाद। वो भी…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service