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मै, जो वाकिफ करता हूँ तुमको, तुमसे|
पहचान बताता हूँ तुम्हारी|
क्या हो तुम, किस बात पे गुरुर है तुम्हे,
सब दिखता हूँ मै|

खामियां क्या हैं? झलक रही हैं चेहरे पर,
ये मै ही हूँ, जो तुम्हे दिखता हूँ,
और बताता हूँ की तुम क्या हो|

आओ मेरे सामने, हकीकत बयां करूँगा|
यदि तुम मुझे तोड़ भी दो तो भी
तुम्हारी बुराइयां नहीं छिपेगीं|
मेरे टुकडो के बराबर गुना तुम्हारी खामियां नज़र आएगी|

इतने दूर क्यों खड़े हो?
कितने ऊँचाई पर हो, आओ मै बताता हूँ|
तुम खुद जान जाओगे तुमको,
बस मेरे सामने आओ तो|

मै ऐसी चीज हूँ
जो सबको उसकी पहचान बताता हूँ|
मै आइना हूँ|
आइना||

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Comment

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Comment by आशीष यादव on November 22, 2010 at 12:28pm
Dhanywaad bagi ji aur ajay ji.
Comment by Ajay Singh on November 21, 2010 at 7:52pm
aap jaise आईना ka jabaab nahi bhhai.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 21, 2010 at 5:49pm
वाह आशीष बाबु, बेहतरीन , इसे कहते है आईना दिखाना | सुंदर प्रस्तुति |
Comment by आशीष यादव on November 19, 2010 at 7:06pm
Dhanywad
Comment by Rash Bihari Ravi on November 19, 2010 at 6:01pm
bahut badhia

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