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रंग भरे

फागुन के चेहरे

संग रीता

सुख चैन

टनटन करती

भाग रही फिर

अग्निशमन की वैन

होंठ चाटता

बेबस राजू

सोच रहा

फिर आज

चूते छप्‍पर

सर्द रात दे

तुष्‍ट नहीं क्‍यों ताज

तैर रही

उसकी आंखों में

मात-पिता की देह

आवास इंदिरा

के नीचे ही

कुचल गया

जो नेह

है तो वो

जनजाति का पर

पाए कहां प्रमाण

दैन्‍य रेख पर

अमला बैठे

युद्ध नहीं

आसान

फटकार मिली जब

स्‍कूलों से

थे मुखिया, नेता

मौन

मन मसोसकर

चाय पकड़ ली

राह  दिखाए कौन

बहिना भी तो

हुई सुहागिन

कट्ठे-डंडे बेच

चू पड़ते हैं

अब झोंपड़ के

खूंटे, रस्‍सी, पेंच

तिसपर फिर से

जेठ चलेगा

चाबुक को

फटकार

चिंगारी की

मुहर लगेगी

हर गरीब के द्वार

सोच रहा है

राजू फिर से

किसको देगा वोट

पेट पुकारे

रोटी-रोटी

झोंपड़ मांगे

नोट

(पूर्णत: मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment

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Comment by Ashok Kumar Raktale on April 12, 2013 at 11:33pm

कई योजनाएं फिर भी परिस्थितियाँ जस की तस हैं. बहुत सुन्दर रचना में आपने इस दर्द को उभारा है. आदरणीय राजेश जी सादर हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by राजेश 'मृदु' on April 11, 2013 at 5:57pm

आदरणीय संदीप जी, रचना आपको अच्‍छी लगी हमें संतुष्टि मिली, ये कविता उस सच्‍चाई पर आधारित है जिसे मैंने बड़े करीब से देखा है हर गरीब के पास दो ही विकल्‍प होते हैं वोट या नोट क्‍योंकि वह जानता है कि वोट देने से उसकी समस्‍या नहीं मिटेगी अत: वह वोट को नोट से तौलने लगता है और हर उस दल के झंडे उठाता है जो उसे नोट दे सकते हैं, सादर

Comment by राजेश 'मृदु' on April 11, 2013 at 5:55pm

आदरणीय कुंति मुकर्जी साहिबा, आपने बिलकुल सत्‍य कहा राजू हर गरीब में जीता है आपका हार्दिक आभार

Comment by राजेश 'मृदु' on April 11, 2013 at 5:54pm

आदरणीय राम शिरोमणि जी आपका हार्दिक आभार

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 11, 2013 at 10:56am

आदरणीय राजेश जी सादर प्रणाम
बहुत ही मार्मिक चित्रण किया है आपने इस रचना में
ग़ज़ब की परिस्थितियों से गुज़रना पड़ता है एक ग़रीब आदमी को
और उसके पास विकल्प कम होते हैं
बहुत ही जोरदार रचना के लिए बधाई स्वीकार करें

Comment by coontee mukerji on April 10, 2013 at 10:57pm

हर गरीब इंसान जो राजू के शरीर में जीता है..साल दर साल उसकी यही समस्या है . समाज का बड़ा ही नाजुक नब्ज पकड़ा है आपने

राजेश जी . बधाई .

Comment by ram shiromani pathak on April 10, 2013 at 9:13pm

सोच रहा है

राजू फिर से

किसको देगा वोट

पेट पुकारे

रोटी-रोटी

झोंपड़ मांगे

नोट//////////////// bahut hi marmik chitran kiya hai apne adarneey jha ji ....hardik badhai

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