हर तरफ खौफनाक सन्नाटा
कहीं कोई आवाज नहीं
हालांकि दर्द हदों को छू गया।
जिंदगी
दरकने लगी है
तप रही है जमीन,
पानी की बूंद
गायब हो जाती है
गिरते ही;
सिर झुकाए लेटी
भूरी घास की आंख में
प्यास छलकती है।
ओठों पर जमी
पपड़ियां रोकती हैं
शब्दों को बढ़ने से
हवा घूम फिर कर
लौट आती है वहीं
जर्जर किवाड़
हिलता है बस।
छप्पर के नीचे
सिर झुकाए बैठा
कुत्ता
रखवाली कर रहा है
जरूरतों की।
भूख
अहसास बन
पूरे मन पर छा गयी;
चूल्हों ने बंद कर दिया
शिकायत करना।
शरीर में जगह जगह
उभर आई हैं दरारें
जिन्हें चीथड़ों से भरने की कोशिश
नाकाम होने लगी हैं।
आंख में कोई सपना तो नहीं
लेकिन देखती हैं उस तरफ
जो सड़क संसद को जाती है
वह सड़क बंद है।
- बृजेश नीरज
Comment
आंख में कोई सपना तो नहीं
लेकिन देखती हैं उस तरफ
जो सड़क संसद को जाती है
वह सड़क बंद है।
आदरणीय ब्रजेश जी
सादर
बधाई.
आंख में कोई सपना तो नहीं
लेकिन देखती हैं उस तरफ
जो सड़क संसद को जाती है
वह सड़क बंद है।...................................एक अंधा बहरा रास्ता बंद ही तो कहलाता है
गरीब की बेबसी दर्द की इन्तेहाँ की मार्मिक अभिव्यक्ति... और अंत अद्भुद
बहुत बहुत बधाई इस सशक्त अभिव्यक्ति के लिए आ० बृजेश जी
आदरणीय रक्ताले साहब आपका आभार! आपने जो पंक्तियां लिखी हैं उन्होंने वातावरण में जान डाल दी। सादर!
राम भाई जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद!
आंख में कोई सपना तो नहीं
लेकिन देखती हैं उस तरफ
जो सड़क संसद को जाती है
वह सड़क बंद है।.......................बहुत बढ़िया. तुम्हारा घर तुमको मुबारक, हमारी नीव क्यों हिला रहे हो.
सुन्दर रचना आदरणीय बृजेश नीरज जी. बधाई स्वीकारें.
ओठों पर जमी
पपड़ियां रोकती हैं
शब्दों को बढ़ने से/// मार्मिक
आदरणीय बृजेश जी,बहुत सुन्दर,बधाई स्वीकार कीजिये सादर
वंदना जी इस जनतंत्र में हमारी सारी जरूरत, सारी उम्मीद टिकी होती है संसद पर। आमजन का भविष्य संसद के हाथों में है लेकिन दुखद यह है कि संसद को इस आम आदमी की कोई फिक्र नहीं है। आशा है आप मेरा आशय समझ गयी होंगी।
आपका बहुत धन्यवाद!
सादर!
आदरेया कुंती जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद! आपके उत्साहवर्धन ने नया जोश पैदा किया। मेरी लेखनी का नहीं यह आप लोगों का प्रेम और ओ बी ओ के मार्गदर्शन का परिणाम है जो कुछ ऐसा लिख पाया जिसे लोगों ने पसन्द किया।
नतमस्तक तो मैं हूं आपके समक्ष जो फ्रेंच भाषी होने के बावजूद आप हिन्दी से इतना प्रेम करती हैं।
सादर!
आदरणीय विजय जी आपका आभार! आपकी टिप्पणी मेरे लिए सदैव ऊर्जा का स्रोत होती है।
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