For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


मैं इतनी धार्मिक प्रवृत्ति की नहीं हूँ लेकिन नास्तिक भी नहीं हूँ . सारे धार्मिक त्योहार पूरी निष्ठा के साथ मनाती हूँ . मुझे भगवान की आरती सुनना बेहद अच्छा लगता है .
पिछ्ले साल की बात है . दिल्ली से हम लखनऊ रहने आ गये . शारदीय नवरात्र चल रहा था . हम पास के एक मंदिर में माँ दुर्गा की पूजा करने गये . आरती जब शुरू हुई तो आँखें बंद कर मैं पूरी तन्मयता से उसमें लीन हो गयी . आरती समाप्त हो गयी लेकिन मैं आँखें मूँदे ध्यानमग्न रही , तभी पण्डाल में हड़कम्प मच गया . मैं कुछ समझ पाती इससे पहले मेरी कुर्सी पर ज़ोर का धक्का लगा .मैं बुरी तरह डर गयी कि हो न हो भूकम्प आ रहा है . मैंने डरते डरते जब अपनी आँखें खोलीं तो क्या देखती हूँ कि लोग एक दूसरे को धक्का दे कर पंडित जी की ओर तीव्र गति से बढ़ रहे हैं . पंडित जी आरती की थाली लिये भक्तों के बीच घुमाने निकले थे लेकिन लोगों में इतना सब्र कहाँ कि अपनी बारी का इंतज़ार करते . हाथ बढ़ा बढ़ाकर हर कोई थाली को अपनी ओर खींचने की कोशिश करने लगा . एक भक्त ने कुछ ज्यादा ही जोश दिखलाया और उसने ऐसा चील झपट्टा मारा कि आरती की थाली ही गिर गयी .
ऐसी क्रिया मैंने हर जगह देखी है . आज तक मेरी समझ में यह बात नहीं आयी है कि लोग ऐसा क्यों करते हैं ? यह भगवान के प्रति अपनी निष्ठा दिखलाना है या आरती पाकर कोई सिद्धी मिल जाने की ललक है .....? ? ? . क्या इस तरह पूजा और भक्ति की गरिमा को आघात करना नहीं होता है...?
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
----- कुंती

Views: 518

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 22, 2013 at 7:57pm

आदरणीया आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूँ यह दृश्य सभी हिन्दू सार्वजनिक धार्मिक आयोजनों में आम है.इसके प्रमुख कारणों में समाज में व्याप्त धर्म भीरुता है. जैसे आरती शुरू हुई है तो आप आरती समाप्त होने तक रुको वर्ना भगवान् नाराज होंगे आरती प्रसाद लेकर जाने का जिक्र हमारे यहाँ के पूजन कथाओं में मिलता भी है. इसके अतिरिक्त एक कारण ये होता है की पुजारी जी अपनी धाक जमाने के लिए आरती को इतना लंबा खींचते हैं की कई कई बार यह समय एक घंटे तक का भी हो जाता है तब भक्तों में बैचेनी होना स्वाभाविक है. और सब जानते हैं ऐसे स्थलों पर भक्तों के साथ भीड़ भी होती है, भीड़ जिसका काम ही होता है अशिष्टता प्रदर्शित करना.

Comment by Usha Taneja on April 22, 2013 at 5:55pm

जी, बिलकुल सही लिखा आपने. अगर आरती की थाली पकड़ने से इश्वर मिल जाता तो सबसे पहले पुजारी को मिलता. 

बढ़िया वर्णन.

सादर

उषा  

Comment by coontee mukerji on April 18, 2013 at 2:31am

आदरणिय केवल जी , संदीपजी, विजय जी ,एवं भाई राम जी ,हमारे जीवन में कुछ छोटी छोटी घटनाएँ घटती रहती है यों तो हम नज़र

अंदाज़ कर देते हैं मगर गौर से देखा जाए तो यह इंसान की आदिम प्रवृति की ओर संकेत करता है. आप लोगों को बहुत 2 धन्यवाद.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 17, 2013 at 6:39pm

आदरणीया कुन्ती मुखर्जी जी,
’ या आरती पाकर कोई सिद्धी मिल जाने की ललक है ............???।’     ऐसे लोग केवल घर जाने की जल्दी और अपनी भक्ति प्रदर्शन मात्र करने के कारण ही उत्सुकता दिखाते हैं...और असफल हो जाते हैं।  अतिसुन्दर कथा। बधाई स्वीकारें। सादर,

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 17, 2013 at 5:17pm
आदरणीया कुंती जी बहुत सुन्दर प्रश्न उठाया है आपने
तत
आदरणीय विजय सर जी की बात से सहमत हूँ
सादर
Comment by vijay nikore on April 17, 2013 at 1:34pm

आदरणीया कुंती जी:

 

आपने पूछा ....// लोग ऐसा क्यों करते हैं ? //

 

वे ऐसा इसीलिए करते हैं क्यूँकि उनमें विवेक की कमी है,

और यह कमी कम नहीं हो रही, आबादी के साथ यह कमी

भी बढ़ती जा रही है।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by ram shiromani pathak on April 17, 2013 at 12:07pm

सुन्दर कथ्य, सटीक व्यंग है ///मै तो इसे अंध विश्वास ही मानूंगा ///

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
9 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सुन, ससुराल में किसी से दब के रहने की कोई ज़रूरत नहीं है। अरे भाई, हमने कोई फ्री में सादी थोड़ी की…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
15 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र ji कृपया देखिएगा सादर  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे मुहब्बत का होगा असर धीरे…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चेतन प्रकाश जी, हृदय से आभारी हूं।  साप्ताहिक हिंदुस्तान में कोई और तिलक राज कपूर रहे होंगे।…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद आदरणीय धामी जी। इस शेर में एक अन्य संदेश भी छुपा हुआ पाएंगे सांसारिकता से बाहर निकलने…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय,  विद्यार्जन करते समय, "साप्ताहिक हिन्दुस्तान" नामक पत्रिका मैं आपकी कई ग़ज़ल…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"वज़न घट रहा है, मज़ा आ रहा है कतर ले मगर पर कतर धीरे धीरे। आ. भाई तिलकराज जी, बेहतरीन गजल हुई है।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service