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तोहरे दुआरे मात, खड़े दोउ कर जोरे,

अब तो आप आइके, दरस दिखाइए |

तोहरी शरण आया, तेरा ये कपूत मात,

सेवक को मां अपनी, शरण लगाइए |

इक आस तोरी मात, दूजा को सहाई मोर,

अइसे न आप मोरी, सुधि बिसराइए |

बिपत जो आन पड़ी तुझको पुकारूं मातु,

आप ही अब आइके, पार मा लगाइए |

 

                              - बृजेश नीरज

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Comment by बृजेश नीरज on April 23, 2013 at 8:05am

आदरणीय रक्ताले साहब आपका आभार! आपकी संस्तुति ने मेरी हिम्मत बढ़ाई!

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 22, 2013 at 11:01pm

आदरणीय बृजेश नीरज जी सादर, बहुत सुन्दर घनाक्षरी नवरात्रि के अवसर पर माता को समर्पित सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by बृजेश नीरज on April 18, 2013 at 10:44pm

आदरणीय बागी जी इस सहृदयता से नंबर देने के लिए आपका आभार!


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 18, 2013 at 10:39pm

Ist Division Pass :-))))))

Comment by बृजेश नीरज on April 18, 2013 at 10:31pm

संदीप भाई आपका बहुत बहुत आभार!

Comment by बृजेश नीरज on April 18, 2013 at 10:30pm

आदरणीय बागी जी आपका आभार! इसलिए विशेष तौर पर कि आपके कारण एक और विधा मुझे सीखने को मिली।
आपके कहने का अर्थ मैं यह लगा सकता हूं कि पहली परीक्षा में मैं पास हो गया?

Comment by बृजेश नीरज on April 18, 2013 at 10:28pm

प्राची बहन आपका आभार! आदरणीय बागी जी के निर्देश पर मैंने घनाक्षरी पर प्रयास किया था। लगता है पहले प्रयास में मुझे पासिंग माक्र्स मिल गए।

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 18, 2013 at 10:11pm

बहुत ही सुन्दर घनाक्षरी आदरणीय बृजेश जी सादर बधाई स्वीकारें 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 18, 2013 at 10:11pm

घानाक्षरी छन्द पर बेहतर प्रयास हुआ है बृजेश भाई, टेक्नीक आपने पकड़ लिया है, यह रचना अच्छी बन पड़ी है, बहुत बहुत बधाई |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 18, 2013 at 7:55pm

नवरात्र पर माँ को पुकारती सुन्दर घनाक्षरी 

इक आस तोरी मात, दूजा को सहाई मोर,

अइसे न आप मोरी, सुधि बिसराइए |...........बहुत सुन्दर 

हार्दिक बधाई आ० बृजेश कुमार जी 

 

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