For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये भरत अभागा पापी है प्रभु से वियोग जो सहता है !

हे लक्ष्मण तू बड़भागा है श्री राम शरण में रहता है ,

ये भरत अभागा पापी है प्रभु से वियोग जो सहता है !

 

प्रभु इच्छा से ही संभव है प्रभु सेवा का अवसर मिलना ,

हैं पुण्य प्रताप तेरे लक्ष्मण प्रभु सेवा अमृत फल चखना ,

मेरा उर व्यथित होकर के क्षण क्षण ये मुझसे कहता है !

ये भरत अभागा पापी है प्रभु से वियोग जो सहता है !

 

कैकेयीनंदन होने का महा कलंक  मुझ पर है लगा ,
पर ह्रदय साक्षी मेरा है 'श्री राम से बढ़कर नहीं सगा ',
ह्रदय व्यथा ही प्रकट करता जब नयन से अश्रु बहता है !

ये भरत अभागा पापी है प्रभु से वियोग जो सहता है !

 

मैं चित्रकूट में आया था प्रभु को लौटा ले जाऊंगा ,
निज-निज धर्म बना बेडी अब चौदह बरस निभाऊंगा,
प्रभु -पादुका शीश पे धर प्रभु के अधीन हो लेता है !
ये भरत अभागा पापी है प्रभु से वियोग जो सहता है !

"मौलिक व अप्रकाशित"

शिखा कौशिक 'नूतन'

Views: 434

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 22, 2013 at 10:58pm

आदरणीया शिखा जी सादर, बहुत सुन्दर रचना है जैसे पूरा दृश्य ही सामने खडा कर दिया है. आदरेया डॉ. प्राची जी का कहना बिलकुल उचित लगता है बहुत थोड़े से सुधार से यह रचना पुरे जोश के साथ गाई जा सकती है. जरूर इस पर प्रयास करें. अभी तो इतनी सुन्दर रचना के लिए बधाई स्वीकारें.

Comment by shikha kaushik on April 19, 2013 at 1:02pm
sandeep ji -sarthak tippani hetu aabhar
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 18, 2013 at 10:13pm

आदरणीया शिखा जी सादर 

बहुत ही सुन्दर मर्म प्रस्तुतु किया है आपने इस रचना के माध्यम से 

उसके लिए सादर बधाई स्वीकारें 

तत आदरणीया डॉ प्राची जी के कहे से सह्मत हूँ 

प्रवाह को और साधने का प्रयास कीजिये 

सादर 

Comment by shikha kaushik on April 18, 2013 at 10:07pm
aadarniy prachi ji -aapki ah ka aage se dhyan rakhne ka poora prayas karoongi .anmol tippani hetu hardik aabhar

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 18, 2013 at 8:06pm

प्रिय शिखा जी 

आपकी रचनाओं का हमेशा इंतज़ार रहता है... कथ्य हृदय के बहुत करीब लगता है..

इस रचना का कथ्य भी वैचारिकता के एक उत्कृष्ट आयाम को शब्द देता है

प्रभु राम का सानिध्य लक्ष्मण का सौभाग्य और उनके विछोह भारत का हतभाग्य...

समुच्चय में रचना प्रभावशाली है, पर गेयता बहुत बाधित है... आप रचनाकर्म में गेयता पर भी खास ध्यान देती चलें

सस्नेह  शुभेच्छाएँ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
19 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
19 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
21 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
21 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
21 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service