For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

छोटी छोटी बातों पर 

अनायास ही अनचाहे 

मन मुटाव हो जाता है 

दुराव हो जाता है 

दूरी बढ़ जाती है 

हम तिलमिला जाते हैं 

मौन हो जाते हैं 

अहम भाग जाता है 

मन का यक्ष प्रश्न बार बार 

झकझोरता है 

कुरेदता है 

हम बड़े हैं  फले-फूले हैं 

हम देते हैं पालते हैं 

पोसते हैं 

न जाने क्यों फिर लोग 

हमे ही झुकाते हैं -नोचते हैं 

वैमनस्य --मारते हैं  पत्थर 

कैसा संसार ??

और वो बिन बौर-आये 

बिना फले -फूले 

ना जाने कैसे -सब से 

पाता दया है 

रहमो करम पे 

जिए चला जाता है 

पाता दुलार !!

-----------------------------------

माँ ने मन जांचा -आँका 

पढ़ा मेरे चेहरे को -भांपा 

नम आँखों से -सावन की बदली ने 

आंचल से ढाका 

फली हुयी डाली ही 

सब ताकते हैं 

उस पर ही प्यारे -सब 

नजर -गडाते हैं 

लटकते हैं -झुकाते हैं 

पत्थर भी मारते हैं 

अनचाहे -व्याकुल हो 

तोड़ भी डालते हैं 

रोते हैं -कोसते हैं 

बहुत पछताते हैं 

नहीं कोई वैमनस्य 

ना कोई राग है 

अन्तः में छुपा प्यारे 

ढेर सारा 

उसके  प्रति प्यार हैं 

--------------------------

मन मेरा जाग गया 

अहम कहीं भाग गया 

टूटा-खड़ा हुआ मै

फिर से बौर-आया 

हरा भरा फूल-फूल 

सब को ललचाया 

फिर वही नोंच खोंच 

पत्थर की मार !

हंस- हंस -मुस्काता हूँ 

पाता दुलार !

वासन्ती झोंको से 

पिटता-पिटाता मै 

झूले में झूल-झूल 

बड़ा दुलराता हूँ 

हंसता ही जाता हूँ 

करता दुलार !!

-----------------------

शुक्ल भ्रमर ५ 

कुल्लू यच पी 

३०.३.१२ -४.४५-५.११ पूर्वाह्न 

Views: 596

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 26, 2013 at 11:56pm

प्रिय अशोक भाई धन्यवाद और आभार माँ तो बहुत कुछ सोच समझ और वास्तविक स्थिति ही समझाती है न ..आभार आप का रचना को आप ने सराहा 

भ्रमर ५ 
Comment by Ashok Kumar Raktale on April 26, 2013 at 7:16am

वाह! क्या बात है.! माँ ने बिलकुल सही समझाया. जो मीठे फल देगा वही पत्थर भी खायेगा. बहुत सुन्दर रचना आदरणीय सुरेन्द्र कुमार शुक्ल 'भ्रमर' साहब.

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 26, 2013 at 1:14am

आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत बहुत आभार प्रोत्साहन हेतु रचना आप के मन को प्रभावित कर सकी सुन हर्ष हुआ 

भ्रमर ५ 
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 25, 2013 at 7:15pm

प्यार भरे दुलार की बेहतरीन रचना के लिए हार्दिक बधाई श्री सुरेन्द्र कुमार भ्रमर जी 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 24, 2013 at 10:58pm

प्रिय केवल  जी -रचनाएँ आप को सुन्दर लगी आप से प्रोत्साहन मिला सुन के ख़ुशी हुयी 

आभार 
भ्रमर ५ 
Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 24, 2013 at 10:57pm

प्रिय शिरोमणि जी -रचना आप को सुन्दर लगी आप से प्रोत्साहन मिला  लिखना सार्थक रहा 

आभार 
भ्रमर ५ 
Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 24, 2013 at 10:56pm

प्रिय श्याम नारायण जी  जय श्री राधे -रचना को आप ने समय दिया प्रोत्साहन मिला  लिखना सार्थक रहा 

आभार 
भ्रमर ५ 
Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 24, 2013 at 10:55pm

आदरणीय अश्क जी जय श्री राधे -रचना आप के ह्रदय को प्रभावित कर सकी लिखना सार्थक रहा 

आभार 
भ्रमर ५ 
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 24, 2013 at 8:20pm

आदरणीय भ्रमर जी,    अतिसुन्दर रचनाएं।  हार्दिक  बधाई स्वीकारें।   सादर,

Comment by ram shiromani pathak on April 24, 2013 at 4:01pm

वाह आदरणीय बहुत ही सुन्दर रचना ////हार्दिक बधाई आपको 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . रोटी
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post एक बूँद
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विरह
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर ।  नव वर्ष की हार्दिक…"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी । नववर्ष की…"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।नववर्ष की हार्दिक बधाई…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
Jan 1
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
Jan 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service