आप सब को मजदूर दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
मजदूर
मजबूर हूँ मजदूरी से पेट का
गुजरा अब हाथ से निकल रहा,
अब हम चुप कब तक रहे,
हृदय हमारा पिघल रहा,
मेहनत करके नीव रखी देश की,
अब सब बिफल रहा,
अपने हकों के लिए चुना नेता,
देखो हम को ही निगल रहा,
डिग्री लेकर कोई इंजिनियर
कुर्सी पर जो रोब जमता है
देखा जाय तो बिन मजदूर के
वो रेस का लंगड़ा घोडा है, ..........रचना- राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
http://bikhareakshar.blogspot.in/
Comment
सादर कल्पना को साकार करने के लिए श्रम और श्रमिक की आवश्यकता होती है. वरना आपकी कल्पनाशीलता को कोई नहीं जाँ पायेगा. बहुत सुन्दर रचना आदरणीय.
आदरणीय मजदूर दिवस की आपको भी हार्दिक शुभकामनाएं! सादर!
आ0 राजेन्द्र जी, मजदूर जो मजदूरी करता है, एक अच्छा महल, सड़क, कारखाना, कलपुर्जे, और वह सारी वस्तुएं बनाता है- जिसके बगैर कोई पूंजीपति या मजदूर से इतर व्यक्ति एक पल भी जी नहीं सकता है। बस वह अधूरा..अपंग ही है। हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,
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