प्रथम प्रयास .....वीर छंद
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सास बहू से कहे प्रेम से देर भयी सो जाओ 'प्लीज़'
बहू सास से यह कहती है फौरन लाओ आँटा पीस
रणभूमी मे कागा कहता बोटी आज मिली बखशीस
बोटी कहती बच गये शत्रू बस इतनी है मन मे कीस
चोर कहे किसका मुहँ देखा खाली बटुआ लिया चुराय
मूँछ ऐंठ कर कहे सिपाही चुपके हफ्ता दो सरकाय
नेता कहता कसम आपकी सब डारेंगे काम बनाय
वोटर कहता क्षमा कीजिये बहकावे मे आँवै नाय
चापलूस अतिथी ये कहता बच्चे कितने हैं मासूम
गुनगुन गुनगुन मच्छर कहता रोगग्रस्त है सबका खून
शेर कहे मै चुप बैठा हूँ नाई काट गया नाखून
नाई कहता लग्न छा गयी देख महीना आया जून
अभियंता का लेखाजोखा सरिया नरम गरम थी भीत
सरिया कहती मुझे पता है काम हुआ था कितना ठीक
नानी कहती घर मे टोना पण्डित ले आओ ज्योतीष
पण्डित कहते इंकम कम था दया किये मुझपे जगदीश
हाँफ हाँफ कर दादा कहते कोई नही किसी का मीत
आला लेकर कहे डाक्टर मर्ज बडा पर लेंगे जीत
वकील कहे जो आप कवी हो पहले मेरा लाओ फीस
कवियों की है बात निराली कलम उठा लिख जाते गीत
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मौलिक व अप्रकाशित
Comment
चापलूस अतिथी ये कहता बच्चे कितने हैं मासूम
गुनगुन गुनगुन मच्छर कहता रोगग्रस्त है सबका खून
शेर कहे मै चुप बैठा हूँ नाई काट गया नाखून
नाई कहता लग्न छा गयी देख महीना आया जून
अभियंता का लेखाजोखा सरिया नरम गरम थी भीत
सरिया कहती मुझे पता है काम हुआ था कितना ठीक
नानी कहती घर मे टोना पण्डित ले आओ ज्योतीष
पण्डित कहते इंकम कम था दया किये मुझपे जगदीश........मनोज जी आपने समाज का सही नस पकड़ा है ....आपने हँसी हँसी में सब को चपत लागा गये ./बहुत खूब अंदाज़ अच्छा लगा .....सादर / कुंती .
आ0 मनोज जी, सुन्दर हास्य-व्यंग। बधाई स्वीकारें। सादर,
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