तपती धुप धूप में
छाँव हो तुम
मेरे लिए
बहुत खास हो तुम
तुम्हारे एहसास भर से
दूर हो जाती है हैं मेरी
परेशानियाँ सारी
जीवन में जिन्दगी का
माँ एहसास हो तुम .........
दर्द में सुकून बन जाती हो
भूख न हो मुझे तब भी
खाना खिलाती हो .....
मैं बताऊ बताऊँ न बताउं बताऊँ तुम्हे परेशानी अपनी
बिन बताये ही माँ तुम मेरी
हर बात समझ जाती हो ...
Comment
आदरणीय सर जी नमस्कार
जी अब समझ आ गया .... पुनः आभार व धन्यवाद .
आदरणीय सीमा मैम नमस्कार व धन्यवाद
//हर बात जान जाती हो//,
//माँ के आलावा ?//
//कोई नहीं//
//माँ तुझे प्रणाम//
आदरणीया सोनम जी , अभी न समझ आये तो फिर विस्तार देना पड़ेगा.
सस्नेह
माँ को समर्पित आपकी इस खूबसूरत रचना के लिए बहुत बहुत बधाई सोनम जी
धन्यवाद अरुण जी
आदरणीय राजेश मैम नमस्कार
प्रतिक्रिया हेतु धन्यवाद मैम
आदरणीय कुशवाहा सर जी नमस्कार
माफ़ी चाहूंगी लेकिन आपकी प्रतिक्रिया का अर्थ मैं समझ नही पाई ...
सोनम जी माँ होती ही कुछ ऐसी हैं, बिना कुछ कहे, बिना कुछ सुने सारी बातें समझ जाती हैं. माँ तो आखिर माँ है न. सुन्दर रचना पर हार्दिक बधाई सोनम जी
हर बात जान जाती हो,
मान के आलावा ?
कोई नहीं माँ तुझे प्रणाम
बधाई,
माँ के चरणों में ये शब्द पुष्प अच्छे लगे हार्दिक बधाई |
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