For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - उसे देखे ज़माना हो गया है

ग़ज़ल
उसे देखे ज़माना हो गया है ,
मेरा बच्चा सयाना हो गया है । 
.
मेरा दिल गाँव में बसता है बेशक ,
शहर में आब - ओ - दाना हो गया है । 
.
तेरी पायल की रुनझुन बज रही माँ ,
तेरा लोरी सुनाना हो गया है । 
.
अकेला सच का परचम ढो रहा हूँ ,
मुकाबिल ये ज़माना  हो गया है । 
.
फकीरों ने उसे दिल से दुआ दी ,
वो खुद अपना दीवाना हो गया है । 
.
बयानों में तुम्हारे ताजगी है ,
मगर किस्सा पुराना हो गया है । 
.
नमक रिश्तों में ज्यादा घुल गया था ,
तेरा जाना बहाना हो गया है । 
.
बहुत शीरीं हुआ लहजा तो जैसे ,
लता का एक गाना हो गया है । 
.
मैं उसकी याद में खोया हूँ जब भी ,
लगा मिलना मिलाना  हो गया है । 
.
ख़ुशी में माँ के आंसू मुझपे ढलके ,
मेरा गंगा नहाना हो गया है । .
.
मेरे घर में बुजुर्गों की है इज्ज़त ,
दुआओं का खजाना हो गया है । 
.
              - अभिनव अरुण 
                 [14052013]

Views: 783

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज लाली बटाला on August 30, 2013 at 11:03am
khoob
Comment by Abhinav Arun on June 9, 2013 at 6:28pm

परम आभार आदरणीय अशोक रक्ताले जी !!

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 20, 2013 at 8:06am

वाह! एक एक शेर जैसे तराशा हुआ नगीना हो, बहुत सुन्दर गजल आदरणीय अभिनव अरुण जी. दिली मुबारकबाद कुबूल फरमाएं.

Comment by Abhinav Arun on May 17, 2013 at 3:36pm

श्री राज जी नमक वाला शेर पसंद आया आभारी हूँ बंधुवर !!

Comment by Abhinav Arun on May 17, 2013 at 3:35pm

मन आह्लादित हुआ आदरणीय श्री ! आपको प्रणाम करता हूँ !! आशीर्वाद मिलता रहे  प्रभु से यही कामना है !! जय बाबा विश्वनाथ !!

Comment by Abhinav Arun on May 17, 2013 at 3:33pm

श्री केवल जी शेर पसन्द आये कहना उपयोगी साबित हुआ आभारी हूँ । 

Comment by Abhinav Arun on May 17, 2013 at 3:33pm

आपकी दाद का शुक्रिया आदरणीय संदीप जी स्नेह बना रहे !!

Comment by Abhinav Arun on May 17, 2013 at 3:32pm

आदरणीय ब्रजेश जी बहुत शुक्रिया आपकी बधाइयों के लिए !!

Comment by बृजेश नीरज on May 16, 2013 at 11:35pm

बहुत ही सुन्दर! लाजवाब! ढेरों बधाई स्वीकारें।

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 16, 2013 at 3:14pm

क्या बात है सर जी इक इक शेर लाजवाब है
इस शानदार ग़ज़ल के लिए दिली दाद हाजिर हैं सादर
क़ुबूल फरमाइए

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
1 hour ago
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
19 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदरणीय शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। शीर्षक लिखना भूल गया जिसके लिए…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"समय _____ "बिना हाथ पाँव धोये अन्दर मत आना। पानी साबुन सब रखा है बाहर और फिर नहा…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक स्वागत मुहतरम जनाब दयाराम मेठानी साहिब। विषयांतर्गत बढ़िया उम्दा और भावपूर्ण प्रेरक रचना।…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
" जय/पराजय कालेज के वार्षिकोत्सव के अवसर पर अनेक खेलकूद प्रतियोगिताओं एवं साहित्यिक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हाइमन कमीशन (लघुकथा) : रात का समय था। हर रोज़ की तरह प्रतिज्ञा अपने कमरे की एक दीवार के…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service