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पं.हरिराम द्विवेदी " हरि भइया " को साहित्य अकादमी का भाषा पुरस्कार !

                               गभग  आधी सदी से भोजपुरी बोली -  भाषा का परचम राष्ट्रीय  अंतर्राष्ट्रीय क्षितिज पर कामयाबी के साथ फहराने वाले लोक कवि पंडित हरि राम द्विवेदी को उनके साहित्यिक योगदान के लिए साहित्य अकादमी ने प्रतिष्ठित 'भाषा पुरस्कार' प्रदान करने की घोषणा की है ।

                      पुरस्कार की घोषणा पर पंडित हरि राम द्विवेदी ने कहा, "यह समूची भोजपुरी भाषा और उसकी माटी की जीत है ।"  संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार की  स्वायत्तशासी संस्था साहित्य अकादमी के सचिव डॉ के . श्रीनिवास राव ने पुरस्कार की घोषणा करते हुए बताया कि श्री द्विवेदी को सम्मान स्वरुप एक लाख रुपये और सम्मान पत्र प्रदान किया जायेगा । 

   उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे भोजपुरी बहुल प्रदेशों में ही नहीं आज भोजपुरी ने विदेशों तक में अपनी मजबूत उपस्थिति बना रखी है । भोजपुरी भाषियों ने , वे जहां हैं अपनी कला संस्कृति को जीवित रखा है ।   यह सम्पूर्ण भोजपुरी समाज के लिए गर्व का क्षण है ,  भोजपुरी भाषा और साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए कवि पं.हरिराम द्विवेदी (हरि भइया) को साहित्य अकादमी का भाषा पुरस्कार के लिए चुना गया है ।

संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार की स्वायत्तशासी संस्था साहित्य अकादमी के सचिव डॉ.के श्रीनिवास राव के अनुसार सम्मान स्वरूप श्री द्विवेदी को एक लाख रुपये नगद तथा सम्मान पत्र प्रदान किया जाएगा। पुरस्कार देने की तारीख अभी तय नहीं हुई है।

भोजपुरी भाषा के उन्नयन में कवि हरिराम द्विवेदी का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कई रचनाएं कीं जिनमें 'नदियो गइल दुबराय' और 'अंगनइया' उल्लेखनीय हैं। हिन्दी संस्थान व कई अनेक संस्थाओं से सम्मानित श्री द्विवेदी इस सम्मान को काशी और लोकभाषा की उपलब्धि मानते हैं। भोजपुरी में उत्कृष्ट कार्य के लिए इसके पूर्व साहित्य अकादमी का भाषा पुरस्कार धरीक्षण मिश्र (गोरखपुर) तथा मोती बीए (बरहज, देवरिया) को प्राप्त हो चुका है।

              'बहुत लड़ी लड़ाई, लड़ता रहा, बस लड़ता ही रहा। उन उपेक्षाओं और अपमानों से जिसका हकदार न मैं था, न मेरी भोजपुरी। देर से ही सही सबेर तो हुई। चलते हुए लड़ते रहने में मैं पल भर भी न कहीं रुका न थका। बाबू, जो भी हो..इस लड़ाई में आखिर जीत गई भोजपुरी। ..और खुशी के मारे उनके भरभरा आए शब्द, आंखों में भर आई लोर'।

               12 मार्च 1936 को जन्मे शेरवा ग्राम , जिला मिर्ज़ापुर के मूल निवासी पं.हरिराम द्विवेदी साहित्य अकादमी का पुरस्कार पाने के बाद, इस पुरस्कार को भोजपुरी को लेकर अपनी लड़ी जाने वाली जंग का परिणाम मानते हैं।

प्रसन्नता बार-बार उनके मन की कारा तोड़कर बाहर आ जाना चाहती है किन्तु उसे वे शब्दों का जामा पहना पाते उसके पहले आह्लंलाद भरी विह्वलता उन्हें भावुक बना देती। किसी तरह शब्दों को जोड़-जोड़कर अपनी बात कहते। यह भी कि बस आज मत कुछ पूछो। मुझे इस जीत को जीभर जी लेने दो। मूलत: मीरजापुर के शेरवां के रहने वाले श्री द्विवेदी बनारस आए तो यहीं के होकर रह गए। भोजपुरी के मर्म को अपनी कलम से जीवंत बनाए रखने वाले श्री द्विवेदी ने आकाशवाणी की सरकारी सेवा में भी अपने क‌र्त्तव्य का केन्द्र भोजपुरी को ही बनाया और हरि भइया के नाम से लोकप्रिय हुए। यह उनकी अप्रतिम भोजपुरी सेवा कही जा सकती है। हरी भैया के रचे भोजपुरी गीत कई नामी गिरामी कलाकारों ने गाये हैं ।

हरी भैया देश विदेश में कविता मंचों के भी लोकप्रिय लोक कवि है । लोककला संस्कृति , पर्यावरण - माटी और गंगा को लेकर उनकी चिंता उनकी रचनाओं में स्पष्ट दिखती है । स्वयं सादगी और उच्च विचारों के प्रतिमूर्ति पंडित हरिराम द्विवेदी लोकगीत , लोककला , लोक साहित्य और लोक संस्कृति के प्रचार प्रसार में दिन रात लगे हुए हैं निस्वार्थ । 

             साहित्य भूषण, राहुल सांकृत्यायन, यूपी रत्न, लोकपुरुष सहित दुनियाभर के अलंकरणों से घिरे श्री द्विवेदी साहित्य अकादमी के इस पुरस्कार को संभावनाओं का द्वार मानते हैं। वे कहते भी हैं कि भोजपुरी ने बहुत सहा है, अब हम सभी को चाहिए कि उसे और पीड़ा न दें। भोजपुरी हंसेगी तो हम हंसेगें, जग विहंसेगा।

                                                                                                                                               - अभिनव अरुण 

                                                                                                                                             {24042013}

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Comment by Abhinav Arun on April 27, 2013 at 1:22pm

आदरणीय श्री अशोक रक्ताले जी , श्री बागी जी , श्री  राज बुन्देली जी व् आदरणीय श्री आप सबने हरि भैया जी को साहित्य सम्मान दिए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की आपकी ये बधाई मेरे ज़रिये उनतक पहुँच रही है । बहुत आभार !! पंडित हरिराम जी सादगी और सरलता के पर्याय हैं , सम्मान पा वे अपने से अधिक भोजपुरी को इसका श्रेय दे रहे हैं । सादगी देखिये पुअस्कार की घोषणा के पश्चात मैंने उन्हें फ़ोन किया तो दो तीन बार के प्रयास के बाद बात नहीं हो पायी । और अगले दिन वे स्वयं आकाशवाणी आये और मेरा नंबर लेकर मुझे फ़ोन किया तब मैंने बधाई दी और बताया कि मैं फ़ोन कर रहा था ... । सच है गाँव गाँव खेत खलिहान जन जन की जुबां पे जिसके रचे गीत सम्मानित हो रहे हो उसे किसी परिचय और सम्मान की भला ज़रूरत है क्या ?  ऐसे जीवट व् माटी से जुड़े धरती पुत्र तक पहुँच अकादमी स्वयं गौरवान्वित है । 

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 26, 2013 at 7:27am

आदरणीय पं. हरिराम द्विवेदी जी को बहुत बहुत बधाई.भोजपुरी को जहां तक मैं जान सका हूँ  यह देश की एक समृद्ध भाषा है. तब उसको उचित सम्मान मिलना ही चाहिए. आदरणीय पंडित जी का श्रम सार्थक हुआ. मुझे आशा है उनके समकक्ष जन इस परंपरा को सदैव गतिमान रखेंगे. सादर शुभकामनाएं.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 24, 2013 at 3:34pm

बहुत ही बढ़िया लगता है जब मिट्टी से जुड़े साहित्यकारों का सम्मान होता है, परम आदरणीय पंडित हरिराम द्विवेदी जी को साहित्य एकाडमी का भाषा पुरस्कार मिलने पर बहुत खुशी की अनुभूति हो रही है, पंडित जी को बहुत बहुत बधाई और इस सचित्र और विस्तृत रपट प्रस्तुत करने हेतु आदरणीय अभिनव अरुण जी को बहुत बहुत आभार | 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 24, 2013 at 2:19pm

पं. हरीराम द्विवेदीजी को साहित्य अकादमी की ओर से मिले इस सम्मान पर सभी भाषा-साहित्य प्रेमियों को अपार प्रसन्नता और असीम संतोष हुआ है. वस्तुतः यह सतत जुझारू मानस की उस भाषा को मिला सम्मान है जिसका नाम भोजपुरी है. यह भोजपुरी की तासीर और इसकी सप्राण प्रवाह ही है कि यह रचनाकारों की जिजीवषा को जीवनी-रस देती रहती है.

श्रद्धेय धरीक्षण मिश्रजी तथा श्रद्धेय मोती बीए जी जैसे परम प्रबुद्ध भोजपुरी विद्वानो और गीतकारों के समकक्ष होना ही आदरणीय हरीरामद्विवेदीजी की अपार रचना-क्षमता का परिचायक है. परमादरणीय मोतीबीए के साथ विद्यार्थी काल में अपना भी संपर्क रहा था. मेरे लिए वे दिन बहुत बड़े थे. 

आदरणीय हरिभइया को सादर बधाइयाँ.. . 

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on April 24, 2013 at 1:39pm

आदरणीय पं.हरीराम द्विवेदी (हरि भैया) जी को कॊटि कॊटि बधाइयाँ,,,,सादर प्रणाम,,,,,ये मेरा सौभाग्य रहा है कि पंडित की के साथ ५ से ७ मंचो पर काव्य-पाठ करने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ है,,,,और १८ मई २०१३ को पुन: मिर्जापुर मॆं पंडित हरि भैया जी के साथ मंच पर मुझे संचालन एवं काव्य-पाठ का अवसर मिला है,,,,१८ मई को पं.हरिराम द्विवेदी जी,केसाथ कवि-सभाजीत "प्रखर"जी(जौनपुर), निडर जौनपुरी जी,(जौनपुर)पं.चंद्रशेखर मिश्र जी के सुपुत्र पं.धर्मप्रकाश मिश्र जी (बनारस) नागेश शांडिल्य जी (बनारस),जयप्रकाश मिश्र "मिलिंद" जी(मुंबई) हृदयेश "मयंक"जी(मुंबई)गीतकार डा.अनिल मिश्र (प्रतापगढ़)महाकवि त्रिफ़ला जी (इलाहाबाद)आदि सभी वरिष्ट साहित्यकारो का काव्य-पाठ होगा,,,,,,,,,,,,,

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