For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आओ फिर बटवारा कर लो......

अब जो तुम ना लोटोगे तो

आओ फिर बटवारा कर लो

तुम अपने दिल से जो चाहो

वो सभी सोगातें रख लो....

 

हाँ मैं दोषी नहीं फिर भी चलो

मेरी गवाही तुम ले लो

गिनाते थे जो ऐब मुझ को

वो तुम अब लिख के दे दो.....

 

भर के रखे तुम्हारे लिए

अरमानो के पैमाने जो

जाते हुए उनका अंतिम

संस्कार खुद से कर दो

अब भी कोई बता दो

शर्त रखते हो तो

इस वक़्त उसे भी

आखिरी सलामी दे दो....

 

सूखे फूलो को मैं रख लूंगी

तुम उनके जज्बात ले लो

मेरी आँखों के अक्स का

तुम क्या करोगे छोड़ो

तुम धूप का चश्मा रख लो

याद आएँगी मुझे वो बरसातें

मुझे गीली सही तुम

वो सूखी चादर रख लो....

 

मैं अंधेरों में ही तुम्हे

याद कर लुंगी

तुम तारों की झिलमिल

बारातें रख लो

मेरा कल तो तुम

ले ही चुके हो अपने

कल के लिये

मेरी दुआएं रख लो....

 

मेरे लिये तुम्हारे धोखे सही

अपने लिये मेरी वफाएं रख लो

सलामत रहे मोहब्बत मेरी

कम जो पड़े तो मेरी

उम्र भी तुम रख लो....

Views: 972

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Priyanka singh on May 20, 2013 at 2:58pm

बहुत बहुत शुक्रिया विशाल जी .....

Comment by Priyanka singh on May 20, 2013 at 2:54pm

जी जरुर राजेश जी आपकी सलाह पर ध्यान दूंगी .........विचार प्रकट करने हेतु धन्यवाद आपका .....

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on May 20, 2013 at 2:13pm

अत्यन्त भावपूर्ण रचना है......लिखती रहिये......आपके उज्ज्वल भविष्य के लिये शुभकामना !!!!

Comment by राजेश 'मृदु' on May 20, 2013 at 1:02pm

मेरे हिसाब से यह रचना काफी कुछ कहती हुई सी है परंतु प्रवाह  इतना उथला है कि चाह कर भी साथ चल ना पाया । इसपर ध्‍यान देने की जरूरत है

Comment by Priyanka singh on May 19, 2013 at 11:07am

धन्यवाद लक्ष्मन सर जी .......

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 18, 2013 at 3:29pm

रचना के भाव प्रस्तुत करनेहेतु बधाई -

बटवारे से होते न्यारे वारे,

रखलो तुम जो भी चाहो 

लो दिल में जो भी समावे,

उम्र चाहे वह भी ले लो |

दिल दरिया है हामारा

परखना चाहे परखो,

स्वाद चखना है चखलो

नही रुचे फिर लौटा दो | 

मेरे इन भावो को परखो 

इन की इज्जत रखलो - लक्ष्मण 

Comment by Priyanka singh on May 17, 2013 at 11:11pm

अरे नहीं रामजी ऐसा नहीं है…. आपका जवाब तो दे ही दिया था मैंने ....मैं ये बदलना ही चाहती थी ...

Comment by Priyanka singh on May 17, 2013 at 11:10pm
 राजकुमार जी सर बहुत बहुत आभार आपका .....आपके विचारों से प्रसन्नता हुई .....आशा रहेगी आप यूँही सराहते रहेगे ...
आशीर्वाद सदा बनाये रखे ....धन्यवाद 
Comment by ram shiromani pathak on May 17, 2013 at 9:42pm

ha ha ha  ha hamne to aise hi kah diya tha anyatha na lijiyega//saadar

Comment by Priyanka singh on May 17, 2013 at 8:18pm

कवी दीपेन्द्र सर जी शुक्रिया आपके कमेंट की प्रतीक्षा थी ....धन्यवाद सर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service