For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जब दर्द गुजरता हो दिल से [नज़्म]

जब दर्द गुजरता हो दिल से , वो पल नज़दीक भी होने दो |

जब छोड़ के जाएँ लोग मुझे , अब वो तकलीफ भी होने दो |

तूफ़ान मै सारे सह जाऊं , बहने दो अगर मै बह जाऊं |

अब ये परवाह नही मुझको , मै मिटूँ या बाकी रह जाऊं |

न रोको मेरे इन अश्कों को बीती यादों को धोने दो |

जब दर्द गुजरता हो दिल से.........................|

सब सहकर भी खामोश रहूँ , बनकर मै अपना होश रहूँ |

जिसे जो कहना है कह ले वो , अब चाह नही निर्दोष रहूँ |

अब एक ही हसरत बाकी है, जो पाया है वो खोने दो |

जब दर्द गुजरता हो दिल से...........................|

अब कोई सहारा क्या मांगू , डूबूं तो किनारा क्या मांगूं |

एक बार जिसे पाके खोया , मै उसे दोबारा क्या मांगू |

जिन जिन से मिला वो छूट गए , अब खुद से  मिलना होने दो |

जब दर्द गुजरता हो दिल से...............................|

नीरज ........

Views: 742

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Nishchal on May 22, 2013 at 10:52am

dhanywaad Jitendra ji

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 21, 2013 at 11:59pm
Bhut hi umda aur dil ko chhu jane wali nzm h
Comment by Neeraj Nishchal on May 21, 2013 at 11:50pm
Thanks and gratitude dear sir Ashok Kumar ji.
Comment by Ashok Kumar Raktale on May 21, 2013 at 11:09pm

सुन्दर रचना आदरणीय नीरज जी.

Comment by Neeraj Nishchal on May 21, 2013 at 12:32am

gratitude my dear sir Brijesh ji

Comment by बृजेश नीरज on May 20, 2013 at 8:27pm

बहुत ही सुन्दर! बधाई!

Comment by Neeraj Nishchal on May 18, 2013 at 1:42pm

धन्यवाद सभी को 

Comment by Priyanka singh on May 17, 2013 at 10:13pm

अब कोई सहारा क्या मांगू , डूबूं तो किनारा क्या मांगूं |

एक बार जिसे पाके खोया , मै उसे दोबारा क्या मांगू |

जिन जिन से मिला वो छूट गए , अब खुद से  मिलना होने दो |

बहुत बढ़िया ....नीरज जी बधाई ....

Comment by विजय मिश्र on May 17, 2013 at 4:18pm
"..... अब खुद से मिलना होने दो | " यही सारतत्व है और सच में इसकेलिए बहुत कुछ खोना होता है . नीरजजी , बहुत प्यारी सी नज्म .
Comment by ram shiromani pathak on May 17, 2013 at 3:40pm

sundaratam bahut khoob bhai sahab

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
15 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
15 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
17 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
17 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
17 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
17 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
18 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service