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ये लो चाँद-सितारे ले लो

जगमगाती यादों के तारे ले लो

ज़िन्दगी कों हँसकर जीने कों

ये लो रंगीन सहारे ले लो ,

गुज़र रहा था फेरीवाला

एक बंजारा, एक मतवाला

बेच रहा था गली-गली में

जीवन की खुशियों का खज़ाना

मोल भी न लेता वो अलबेला

अनमोल मोती लुटाने वाला .

कोई दुखी था ख़ुशी दे गया

बदले में ले गया आसुओं की माला

किसी घाव कों मलहम दे गया

बदले में ले गया दर्द वो सारा

फिर भी खाली न होता झोला

हर दिन आता वो बंजारा

वो मतवाला, वो अलबेला

और नही कोई वो फेरीवाला

है सबका मालिक ऊपरवाला .

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Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 18, 2013 at 9:43pm

आ0 पूजा जी, ’हर दिन आता वो बंजारा
वो मतवाला, वो अलबेला
और नही कोई वो फेरीवाला
है सबका मालिक ऊपरवाला!! ’......बहुत सुन्दर! फेरी वाले की आवाज...मधुर धुन, आग्रह और कुछ नहीं बस सबको आनन्द बांटता चलता है। बधाई स्वीकारे। सादर,

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