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अब चाँद तारे ख्वाबों में आते नहीं,

अब चाँद तारे ख्वाबों में आते नहीं, 

हम भी छत पे रातों में जाते नहीं. 
 
वो जमाना था कि बातों से गुज़र थी, 
आज हम भी वैसे बतियाते नहीं . 
 
वो पुरानी धुन अभी भी याद है, 
पर हुआ है यूँ कि अब गाते नहीं. 
 
ढ़हूंती हूँ मिल भी जाता है मगर, 
चाहिए जो बस वही पाते नहीं. 
 
सीने के ये जख्म हंसते हैं कभी, 
क्या हुआ है अब कि हम रोते नहीं. 
.
- संजू शाब्दिता -
(मौलिक अप्रकाशित) 

 

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Comment

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Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 23, 2013 at 9:58am
"आदरणीया... संजू सिंह जी, आपके shukriya का आभार! बहूत खूब लिखा है आपने, अपनी panktiyon मे, ..बहुत सारी "शुभकामनाऐं " ...
Comment by sanju shabdita on May 23, 2013 at 9:45am

respected jitendra sir aapka bahut-bahut aabhar...

Comment by sanju shabdita on May 23, 2013 at 9:39am

respected sir...jankari dene ke liye aapka bahut-bahut shukriya. chahte huye bhi hindi me pratikriya de pana mere liye bahut mushkil hai.phir bhi mai sikhne ki koshis kar rahi hun.roman me typing asmarthta ke karan hai..iske liye aap sabhi se mafi chahungi...

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 23, 2013 at 9:33am
आदरणीया...संजू सिंह जी, आपकी कविता में.."वो जमाना था कि बातों से गुजरती थीं, आज हम भी वैसे बतियाते नही"...बहुत ही खूबसूरत तरीके से पेश किया है
Comment by बृजेश नीरज on May 23, 2013 at 9:12am

आदरणीया संजू जी हिन्दी टाइपिंग के लिए ओबीओ पर आपके पन्ने के दाहिनी ओर विकल्प मौजूद हैं उनका प्रयोग करें। आपको सुविधा होगी।

Comment by sanju shabdita on May 23, 2013 at 9:04am
रेस्पेक्टेड बृजेश जी, रेस्पेक्टेड गीतिका जी, रेस्पेक्टेड अरुण जी, एवम् रेस्पेक्टेड नीरज़ जी, आप सभी का बहुत-बहुत आभार. 
मैं और अच्छा लिखने की कोशिस करूँगी. हिन्दी टाइपिंग मुझे नहीं आती, मैं अच्छे से लिखने की कोशिस कर रही हूँ.... 
टाइपिंग से समन्धित यदि मेरी कोई ग़लती हो तो कृपया ज़रूर मुझे माफ़ कीजिएगा. आप सभी के आशीर्वाद से मैं जल्दी 
ही अच्छी टाइपिंग करने लगूंगी. 
Comment by वेदिका on May 22, 2013 at 10:33pm

स्नेही संजू जी! सुंदर कविता है ....यही सुझाव दूंगी की एक बार आदरणीय  बृजेश जी और आदरणीय अरुण जी की टिप्पणी पे गौर कीजिये 

Comment by अरुन 'अनन्त' on May 22, 2013 at 10:07pm

संजू जी कविता अच्छी बन पड़ी है, थोड़ी और कसावट की मांग कर रही है, साथ ही साथ बृजेश भाई जी कि बातों पर भी ध्यान दें, आप ओ बी ओ पर भी देव नागरी लिपि में लिख सकती हैं या फिर गूगल हिंदी टूल्स डाउनलोड कर सकती हैं. इस रचना हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by बृजेश नीरज on May 22, 2013 at 9:40pm

टिप्पणियां यदि देवनागरी लिपि में ही दी जाएं तो अच्छा है। वरना एक नया ट्रेंड शुरू हो जाएगा यहां।

Comment by sanju shabdita on May 22, 2013 at 9:33pm

aap sabhi ka bahut-bahut shukriya

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