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शहर की तंग गलियों से

शहर की  तंग  गलियों से निकलना चाहती हूँ,
मैं अपने गाँव के अंचल में  जाना चाहती  हूँ .

वो मौसम आम के ,डालियों से झूलना मेरा,
उन्हीं शाखों पे फिर झूम जाना चाहती हूँ .

बहुत ही याद आती हैं मेरे गांव की सखियाँ,
उन्हीं सखियों के संग खिलखिलाना चाहती हूँ .

बड़ी रफ़्तार वाली है शहर की ज़िन्दगी लेकिन,
मैं फुर्सत के वे लम्हे फिर चुराना चाहती हूँ .

चढ़ती ही जाऊं आस्मां की सीढ़ियाँ लेकिन,
जमीं पे ही अपना घर बसाना चाहती हूँ .

संजू शब्दिता  मौलिक व अप्रकाशित  

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Comment

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Comment by sanju shabdita on June 7, 2013 at 12:25pm

aap sabhi respected longon ka hriday se bahut-bahut aabhar...main online na sahi ,par ofline ghazal ki barikiyan sikhne ki koshis kar rahi hun..meri yah rachna tab ki hai jab mai greduation kar rahi thi..margdarshan ke liye aap sabhi gudijanon ka tahedil se shukriya..

Comment by वीनस केसरी on June 4, 2013 at 9:21pm

बहुत ही याद आती हैं मेरे गांव की सखियाँ, 
उन्हीं सखियों के संग खिलखिलाना चाहती हूँ .

बीते लम्हों को आपने बेहतर याद किया 
अच्छा हो की शिल्प के प्रति और आग्रही हुआ जाए ..

शुभकामनाएं 

Comment by वेदिका on June 3, 2013 at 3:13pm

सुन्दर रचना 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 3, 2013 at 12:44pm

आदरणीया संजू जी, यह कविता अच्छी है, मनोहर यादों को जीती हुई पंक्तियाँ अच्छी भी हैं लेकिन शिल्पगत कमियाँ बहुत हैं. ग़ज़ल के फ़ॉर्मेट को समझने केलिए भाई बृजेश जी के सुझावों पर अमल करें. 

शुभेच्छाएँ

Comment by sanju shabdita on June 3, 2013 at 7:59am

aadarnieya coontee ji..mere bhav aapko ateet me le gaye,,,samjhiye mera likhna sarthak hua...haunsla-aafjayi ke liye aapka bahut-bahut shukriya...

Comment by coontee mukerji on June 3, 2013 at 1:25am

बहुत ही सुंदर सुखद रचना , जो अतीत की यादो से मन को गुद्गुदा देता है ./ सादर / कुंती .

Comment by sanju shabdita on June 3, 2013 at 12:02am

kishan ji aapka bahut-bahut dhanyavad

Comment by अमित वागर्थ on June 2, 2013 at 11:26pm
wah ati sundar
Comment by sanju shabdita on June 2, 2013 at 8:23pm

respected brijesh sir aapka bahut bahut shukriya . main ghazal ki kakcha me jarur pravesh lungi........

Comment by बृजेश नीरज on June 2, 2013 at 8:04pm

बहुत बधाईयां आपको इस प्रयास पर! कहन बहुत अच्छा है।
गजल की कक्षा या गजल की बातें नाम के दो समूह ओबीओ पर मौजूद हैं उनमें प्रवेश लें तो बेहतर होगा।

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