For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल// कोई मौसम नहीँ होता!

किसी की याद आने का,कोई मौसम नहीँ होता,
अश्क फुरकत मेँ बहाने का,कोई मौसम नहीँ होता!


कौन जाने कब वफा से,बेवफा हो जाये को

फ़रेब इश्क मेँ खाने का,कोई मौसम नहीँ होता!

राहे उल्फ़त मेँ देखा है,हमने आसियां बनाकर,
दिल पे चोट खाने का,कोई मौसम नहीँ होता!

उम्र भर का निभाई साथ कोई,यह ज़रुरी तो नहीँ,
पल मेँ बिछड़ जाने का,कोई मौसम नहीँ होता!

अजनबी सी राहोँ मेँ हमसफर मिल जाते हैँ,
किसी को अपना बनाने का,कोई मौसम नहीँ होता!

भूलकर गिले शिकवे चलो मोहब्बत को आम करेँ,
चिराग उल्फ़त के जलाने का,कोई मौसम नहीँ होता!

हो ही जाती है मोहब्बत,राहोँ मेँ ज़िँदगी की,,
किसी को चाहने का 'आबिद' कोई मौसम नहीँ होता!!

(मौलिक व अप्रकाशित)
___आबिद अली मंसूरी

Views: 856

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abid ali mansoori on June 8, 2013 at 2:35pm
जी अवश्य ही आदरणीय अरुन भाई,हार्दिक आभार!
Comment by अरुन 'अनन्त' on June 8, 2013 at 1:39pm

भाई आबिद अली साहब बहुत खूब ग़ज़ल पर आपका प्रयास बहुत ही सुन्दर है इस हेतु बधाई स्वीकारें. गुरुजनों ने बाकी सब कह ही दिया है उनके कथन पर गौर फरमाएं सधते सधते सध जाएगा.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 7, 2013 at 2:41pm
"सादर आभार " आपका आबिद साहब..आप ऐसे ही मन की अनुभूति को शब्दो का रूप देते रहिये " शुभकामनाऐं आपके साथ रहेगीं...शुक्रिया
Comment by Abid ali mansoori on June 7, 2013 at 2:39pm
शुक्रिया आदरणीय बृचेश नीरज जी!
Comment by बृजेश नीरज on June 7, 2013 at 2:15pm

आपके इस प्रयास पर मेरी ढेरों बधाई। 

Comment by Abid ali mansoori on June 7, 2013 at 1:35pm
आदरणीया रोशनी जी और आदरणीय दिव्या जी हार्दिक आभार आपका इस हौसला अफ़्जाई के लिए,धन्यवाद!
Comment by दिव्या on June 7, 2013 at 12:59pm

अजनबी सी राहोँ मेँ हमसफर मिल जाते हैँ,
किसी को अपना बनाने का,कोई मौसम नहीँ होता! वाह बहुत खूब 

Comment by Roshni Dhir on June 7, 2013 at 12:32pm

आबिद जी नमस्कार 

बहुत अच्छा लिखा आपने 

भूलकर गिले शिकवे चलो मोहब्बत को आम करेँ,
चिराग उल्फ़त के जलाने का,कोई मौसम नहीँ होता!

बहुत सुंदर पंक्तियाँ 

Comment by Abid ali mansoori on June 7, 2013 at 12:15pm
आदरणीय भाई जितेन्द्र जी समझ नहीँ पा रहा हूं किन शब्दोँ मेँ आपका शुक्रिया अदा करूं!
हार्दिक आभार आपके इस प्यार के लिए!
Comment by Abid ali mansoori on June 7, 2013 at 12:00pm
हार्दिक धन्यवाद आदरणीय सौरभ जी,मैँ अभी कुछ देर पहले तक आदरणीय वीनस जी के ग़ज़लोँ से सम्बन्धित लेखोँ का अध्यन कर रहा था!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
16 hours ago
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
22 hours ago
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service