दोस्तों को दुश्मन बनाया है किसने ..
शमशान में लाशों को पहुँचाया है किसने..
किसने किसको, किसको है देखा ..
न देखा है हमने न, देखा है तुमने...
हुयी शाम और ये रात है आयी..
किसने ये तारों की महफ़िल सजाई ...
सोचते-सोचते में सो गया हूँ ..
रात की कालिमा में मैं खो गया हूँ..
किसने इस कालिमा को लालिमा बनाया ..
किसने मुझको फिर से जगाया..
किसने किसको, किसको है देखा ..
न देखा है हमने न, देखा है तुमने...
किसने, हमको और तुमको बनाया ....
बनाकर मिटाया और फिर से बनाया ...
किसने नफरत और द्वेष बनाया ...
किसने प्रेम का सन्देश सिखाया ..
किसने चमन को है मरघट बनाया ..
न जाना है तुमने, न जाना है मैंने..
किसने किसको, किसको है देखा ..
न देखा है हमने न, देखा है तुमने... ??????
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
भाव प्रस्तुति के लिए बधाई,
शुभेच्छाएँ
किसने चमन को है मरघट बनाया ..
न जाना है तुमने, न जाना है मैंने..
आप महान हो अमोद भाई , लगता है कभी पीलीभीत ही आना होंगा आपसे मिलने ,
मज़ा आ गया !
मान्यवर बृजेश नीरज जी बहुत बहुत आभार ... .आपका .. सादर
मान्यवर वीनस केसरी जी बहुत बहुत आभार ... .आपका .. सादर
मान्यवर Jitendra Pastariya जी बहुत बहुत आभार ... .आपका .. सादर
आपके प्रयास पर आपको बधाई!
sundar prastuti ....
hardik badhai
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