For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कर्म किए जा फल की इच्छा मत कर

आशा के सहारे इंसान अपनी सारी उम्र गुजार देता हैI यही कि अब अच्छा होने वाला है अब सब सही हो जाएगा1 मैं सोचती हूँ क्या सचमुच सब सही हो जाएगाIजिंदगी की गाड़ी पटरी पर चलने लगेगी1भगवान देता है माना पर मुझे दिया अस्त-व्यस्त बिखरा हुआI अब उसे समेटना हैI यहाँ संभालो तो वहाँ की चिंता,वहाँ संभालो तो यहाँ की चिंता क्या करूं?पता नही कब सब कुछ सही होगा,होगा की नही1 जीवन के इस करूक्षेत्र में आशा और निराशाके इस महाभारत में कहीं कौरव न जीत जाए1भगवान कृष्ण तुम कहाँ हो? सुनते क्यों नही ?पुकारते-पुकारते थक गई हूँ1 सही मायनों में कोई शक्ति है तो जिसके कारण जीवन में अगर उसकी कृपा हो तो अच्छा ही अच्छा1 अभी-अभी मन ने कहा अच्छा ही होगा1 भगवान जो करता है अच्छा ही करता है1कर्म किए जा भक्त फल की इच्छा मत कर1मुझे फल नही सब्जी ही दे दो1 मैं तो उसी में संतुष्ट हूँ1 मैं तो सलाद से ही काम चला लूंगी1सलाद भी सेहत के लिए अच्छा है1 फल मँहगे भी हैं इसलिए हे प्रभु मुझे तो आप सलाद ही दे दीजिए1आपक कृपा होगी1 अंतरात्मा से आवाज आई पागल है जो सलाद माँग रही है1दुनिया तो ईश्वर से फल की इच्छाकरती है और तू है जो सलाद ही दे दो कह रही है1 मैंने कहा ये आत्मा भी तो भगवान का ही अंश है फिर कण-कण में भगवान समाया हुआ है तो फल माँगूं या सब्जी1 भई हम तो हिंदुस्तानी हैं जो मिल जाए उसी में खुश और हाँ गीता में भगवान कृष्ण ने उपदेश दिया है कि फल की इच्छा मत कर तो मैंने सोचा क्यूं न सब्जी की इच्छा करूं1 भगवान की बात मानना भी तो जरूरी है1 इसी आशा से कि सब्जी माँगने पर सुनवाई अवश्य होगी1जीवन की गाड़ी पटरी पर जरूर आएगी और सिगनल मिलने पर सिटी देकर सही स्टेशन पर रूकेगी1

 

 

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 669

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राजेश 'मृदु' on June 17, 2013 at 1:27pm

मंगलमय हमेशा मंगल ही करते हैं यह गांठ बांध लीजिए कभी तकलीफ नहीं होगी । अपनी एक तस्‍वीर भी कृपया लगा दें ताकि दुआ के लिए उठे हाथों को मंजिल तो दिखे अन्‍यथा सारी दुआएं किसी और की झोली में चली जाएंगी

Comment by विजय मिश्र on June 17, 2013 at 1:04pm
इसे पढकर किट्स की रचना जो अज्ञेय ने 'नदी के द्वीप ' के आमुख केलिए भाषायीत कियी थी , याद आ गया ,स्मरण से रख रहा हूँ ---
" आशाओं के कई हरे-भरे द्वीप अवश्य होंगे व्यथा के इस गहरे सागर में अन्यथा कोई सागरिक इतनी लम्बी यात्रा करता न रह सकता . "
Comment by Pragya Srivastava on June 17, 2013 at 11:12am
आभार
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 16, 2013 at 7:24pm
आदरणीया..अपनी रचना में आपने आशाओं से भरे जीवन की वास्तविक सच्चाई को स्पष्ट किया, सचमुच इंसान अपना जीवन इस आशा के अन्तरजाल मे निकाल देता हैं'"' ...आदरणीया सुंदर प्रस्तुति के लिए हार्दिक शुभकामनाऐं

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service