For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वक्त जो हम पर भारी है - वीनस

छोटी बहर पर ग़ज़ल का एक प्रयास  .....

वक्त जो हम पर भारी है 
अपनी भी तय्यारी है 

पूरा कारोबारी है 
ये अमला सरकारी है 

.

प्रजातंत्र के ढांचे में 

हर कोई दरबारी है 

तय्यारी है हमलों की 

अम्न का नाटक ज़ारी है 

सच को कैसे सच कह दें  
जान हमें भी प्यारी है 


खुद को खतरा है खुद से 

ये कैसी खुद्दारी है 

साम्यवाद के नारों पर 

भारी जिम्मेदारी है 



वीनस केसरी 
मौलिक व अप्रकाशित 

फैलुन फैलुन फैलुन फ़ा 

Views: 842

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on June 24, 2013 at 1:24am
Comment by वीनस केसरी on June 24, 2013 at 1:23am
Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on June 23, 2013 at 6:22pm

वीनस जी, बहुत ही सुन्दर भाव| मज़ा आया पढ़ कर| "सच को कैसे सच कह दें - जान हमें भी प्यारी है"... फिर भी सच यह है कि भावों को एक कवि से बेहतर कोई नहीं समझ सकता| बधाई आपको|

Comment by mrs manjari pandey on June 23, 2013 at 4:40pm

       आदरणीय वीनस जी ,बखूबी सामायिक सोच को  चन्द  पंक्तियों  में बयाँ  किया है 

Comment by वीनस केसरी on June 22, 2013 at 11:42pm

धन्यवाद श्याम नारायण वर्मा जी .....

Comment by वीनस केसरी on June 22, 2013 at 11:41pm

जी ... बृजेश जी फिर तो मैंने सही ही समझा था ....

:)))))))))))))))))

Comment by वीनस केसरी on June 22, 2013 at 11:41pm

महिमा श्री जी रचना के अनुमोदन के लिए आपका आभारी हूँ

Comment by Shyam Narain Verma on June 22, 2013 at 12:59pm
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………
Comment by बृजेश नीरज on June 22, 2013 at 8:40am

वीनस भाई मैंने तारीफ ही की है। :))))))))

Comment by MAHIMA SHREE on June 22, 2013 at 12:28am

प्रजातंत्र के ढांचे में 

हर कोई दरबारी है...

 

साम्यवाद के नारों पर 

भारी जिम्मेदारी है

 

वाह !!!! बहुत-२ ही करारा कटाछ करती गजल ..सब शेर अपने आप में जबरदस्त हैं .. घाव करें गंभीर वाली बात ... बहुत-२ बधाई आपको आदरणीय वीनस जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
51 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"जी, मार्गदर्शन के लिए आभार।"
53 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई।"
55 minutes ago
Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अच्छे अशआर हुए.........मुबारक खँडहर देख लें    "
1 hour ago
नादिर ख़ान replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय जयहिंद साहब अच्छी ग़ज़ल कही बधाई ..."
1 hour ago
नादिर ख़ान replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चढ़ा रंग तेरा मगर धीरे धीरे हुआ आशिक़ी का असर धीरे धीरे   मुताबिक़ ज़रूरत के काटा गया वो हुआ ठूँठ…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"तुझे तेज धारा उधर ले न जाए   जिधर उठ रहे हैं भंवर धीरे धीरे। ("संभलना" शब्द के…"
2 hours ago
Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय दयाराम जी शुक्रिया  हौसला अफज़ाई केलिए       "
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय अजय गुप्ता जी, बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है। बधाई स्वीकार करें।"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ग़ज़ल अच्छी हुई है। बधाई स्वीकार करें।"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय रिचा यादव जी, ग़ज़ल अच्छी हुई है। बधाई स्वीकार करें।"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय पूनम जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। बधाई स्वीकार करें।"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service