कुंद चाकू पर धार लगाकर
हम चाकू से छीन लेते हैं उसके हिस्से का लोहा
और लोहे का एक सीदा सादा टुकड़ा
हथियार बन जाता है
जमीन से पत्थर उठाकर
हम छीन लेते हैं पत्थर के हिस्से की जमीन
और इस तरह पत्थर का एक भोला भाला टुकड़ा
हथियार बन जाता है
लकड़ी का एक निर्दोष टुकड़ा
हथियार तब बनता है जब उसे छीला जाता है
और इस तरह छीन ली जाती है उसके हिस्से की लकड़ी
बारूद हथियार तब बनता है
जब उसे किसी कड़ी वस्तु में कस कर लपेटा जाता है
और इस तरह छीन ली जाती है उसके हिस्से की हवा
पर दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार
इन तरीकों से नहीं बनता
वो बनता है उस पदार्थ को और न्यूट्रॉन देने से
जिसके पास पहले से ही मौजूद न्यूट्रॉनों को
रखने हेतु जगह कम पड़ रही है
हजारों वर्षों से धरती पर मौजूद हैं छोटे हथियार
इसलिए मुझे यकीन है
दुनिया जब भी खत्म होगी
कम से कम छोटे हथियारों से तो नहीं होगी
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(मौलिक एवम् अप्रकाशित)
Comment
बहुत बहुत धन्यवाद गीतिका 'वेदिका' जी
बहुत बहुत धन्यवाद Savitri Rathore जी
बहुत बहुत शुक्रिया aman kumar जी
धन्यवाद Shyam Narain Verma जी
शुक्रिया Jitendra Pastariya जी
बहुत बहुत धन्यवाद D P Mathur साहब
कविता के सभी बंद चौकाने वाले है … वह अद्भुत खोज करी आपने
सच में एक निर्दोष को विस्फोटक बनाने में यह समाज ही जिम्मे वार है.
किसी भी मुआअम्ले के सापेक्ष लीजिये। जब कोई लड़की या औरत घरेलू हिंसा को सहेगी तो उसे कोई श्रेय नही दिया जाता, लेकिन जब वह विस्फोटक हो जाती है तो उसे समाज के लिए घातक हथियार मान लिया जाता है।
छोटे-छोटे हथियारों से बड़े हथियारों तक की बात और उन हथियारों के कारण भविष्य के प्रति दूरदर्शिता ........निसंदेह सराहनीय प्रयास .....बधाई!
हथियारो को मानव ने बनाया और मानव ही मारा जाता है !
पर कविता को आपने जो हथियार बनाया ................. दुनिया को समझ आये तो ,,,
आभार !
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ……………… |
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