For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खा खाकर मोटी हुई,जैसे मोटी भैंस !
मै दुबला होता गया ,मेरे धन पे ऐश !!

सुबह शाम गाली सुनूँ ,हरदम करती चीट !
धोबी का सोटा उठा ,अक्सर देती पीट !!

मै घर का नौकर बना ,झेलूँ बस उपहास !
रूठ विधाता भी गये,जाऊं किसके पास !!

लगे लंकिनी सा मुझे ,उसका भद्दा फेस !
दिन में कितनी बार वॊ,बदले अपना भेष !!

अब तो देखो हद हुई ,झेलूँ कितनी त्रास
घर आते सुनना पड़ा ,करना है उपवास !!

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 1715

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on June 30, 2013 at 5:17pm

आदरणीय भाई ब्रिजेश जी इत्ता डरावना कमेन्ट हाहा हाहा //और ऐसी कोई समस्या नहीं है फोबीया हो मेरे दुश्मनों को ///आप है साथ तो काहे का डर//हार्दिक आभार

Comment by बृजेश नीरज on June 30, 2013 at 5:07pm

राम भाई वाह! मजा आया पढ़कर आपके दोहे भी और उस पर हुई चर्चा भी!
एक बात नहीं समझ आयी आप कहते हैं कि आप शादीशुदा नहीं हैं लेकिन आपकी रचनाओं में बार बार स्त्री से मिला भय बार बार छलकता है। पत्नी नहीं है तो यह भय आप आयातित कहां से करते हैं और क्यों? कहीं फोबिया न हो जाए। :)))))))))))))))))))))))))

Comment by ram shiromani pathak on June 30, 2013 at 2:10pm

मुझे लग ही रहा था आदरणीय की कुन्ती दीदी मेरे साथ मज़ाक ही कर रही हैं //हार्दिक आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on June 30, 2013 at 2:49am

भाई राम शिरोमणि जी, कुंती जी ने आपको डराने का प्रयास कर आपसे विनोद किया है. निर्भय होकर लिखें पूरे आनंद के साथ. आपकी निष्कलुष रचना ने मंच पर फुलझरी की झड़ी लगा दी.....उसके प्रकाश में हम सभी को अपने अंदर झाँकने का अवसर मिला....विद्वानो का साथ मिलना भाग्य की बात है....लाभ अवश्य उठाएँ. शुभकामनाएँ.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 27, 2013 at 9:43pm

भाई रामशिरोमणि जी, आपके माध्यम से मैं सभी पाठकों को सूचित करता हूँ कि आप इस मुआमले में भाग्यशाली हैं कि आपके दोहों पर अक्सर बेहतर बातचीत हुई है और ज्ञानवर्द्धक प्रतिक्रियाएँ आयी हैं. सभी पाठकगण इस मंच पर आपके अबतक प्रस्तुत हुए दोहों पर की प्रतिक्रियाओं से दोहा शिल्प संबन्धी महत्वपूर्ण जानकारियाँ ले सकते हैं. जैसे कि मैं लाभान्वित हुआ हूँ.

शुभम्

Comment by ram shiromani pathak on June 27, 2013 at 9:28pm

प्रणाम सहित हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी ,आदरणीय गणेश जी ,भाई वीनस जी ,आदरणीया प्राची जी *****

मैंने दोहा लिखते समय यह नहीं सोचा था आप सब का इतना ज्ञानवर्धक कमेन्ट आयेगा //आप सब का कोटि कोटि आभार ///आप सब का स्नेह और आशीर्वाद बना रहे यही ईश्वर से कामना है//सादर

Comment by ram shiromani pathak on June 27, 2013 at 9:16pm

हार्दिक आभार आदरणीया दीदी कुन्ती जी//एक बात पूछनी थी क्या आप चाहती है की आपका अनुज ऐसी तकलीफ झॆले // स्नेह यु ही बनाए रखें //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on June 27, 2013 at 9:13pm

हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोर जी// स्नेह यु ही बनाए रखें //सादर

Comment by ram shiromani pathak on June 27, 2013 at 9:11pm

हार्दिक आभार आदरणीय भाई विजय मिश्र जी //स्नेह यु ही बनाए रखें //सादर

Comment by विजय मिश्र on June 27, 2013 at 5:24pm
श्रध्येय राम शिरोमण जी , भाई गजब की रचना रची , देखिए ,ज्ञान गंगा की धार बह निकली , आपने श्रेष्ठों को अभिव्यक्त होने का सुअवसर दिया .बधाई के पात्र हैं,स्वीकारें.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर आपने सर्वोत्तम रचना लिख कर मेरी आकांक्षा…"
8 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे... आँख मिचौली भवन भरे, पढ़ते   खाते    साथ । चुराते…"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"माता - पिता की छाँव में चिन्ता से दूर थेशैतानियों को गाँव में हम ही तो शूर थे।।*लेकिन सजग थे पीर न…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे सखा, रह रह आए याद। करते थे सब काम हम, ओबीओ के बाद।। रे भैया ओबीओ के बाद। वो भी…"
14 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देवता चिल्लाने लगे हैं (कविता)

पहले देवता फुसफुसाते थेउनके अस्पष्ट स्वर कानों में नहीं, आत्मा में गूँजते थेवहाँ से रिसकर कभी…See More
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय,  मिथिलेश वामनकर जी एवं आदरणीय  लक्ष्मण धामी…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Wednesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service