For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रतीक्षा / कविता

पुष्प से सुन्दर,कोमल हृदय में 
लिए एक मधुर-सी- आकांक्षा।
सुन्दर होंगे क्षण प्रिय-मिलन के ,
 सदा करती हूँ तुम्हारी प्रतीक्षा।
मेरे इस जीवन का एकमात्र
सुन्दर-मधुर स्वप्न हो तुम।
जिसे अब तक नहीं जानती मैं,
मेरे वो अज्ञात प्रियतम हो तुम।
तुम्हारे दर्शन को व्याकुल आत्मा।
सदा करती हूँ तुम्हारी प्रतीक्षा। 
तुम स्वप्न हो मेरे जीवन का,
अनुपम आनंद देती ये कल्पना।
पर उस क्षण मैं जाती हूँ काँप,
जब पाती हूँ तुम्हें केवल सपना।
कैसे कहूँ कि है प्रिय मेरा कौन सा?
सदा करती हूँ तुम्हारी प्रतीक्षा।
एक अनदेखे - अनजाने को मैं 
करती हूँ प्रेम ना जाने कब से ?
जब ये पूछा अपने मन से मैंने,
तब मुझे उत्तर मिला -जन्म से।
जैसे परमात्मा को चाहे आत्मा।
सदा करती हूँ तुम्हारी प्रतीक्षा।
ओ मेरे जीवन के मधुर स्वप्न,
 अब तो आ जाओ मेरे जीवन में।
कब दोगे तुम मुझे दर्शन अपने,
कब तक बसे रहोगे मेरे मन में?
कब होगी समाप्त मेरी ये प्रतीक्षा ?
सदा करती हूँ तुम्हारी प्रतीक्षा।
देकर तुम अपने दर्शन मुझको,
मेरे नयनों की प्यास बुझा दो।
आकर मुरझाये मेरे इस  मन के,
 सुमन को अपने प्रेम से खिला दो।
सफल कर दो मेरी प्रेम-तपस्या।
सदा करती हूँ तुम्हारी प्रतीक्षा।
'सावित्री राठौर'
[मौलिक एवं अप्रकाशित]

Views: 727

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by D P Mathur on June 27, 2013 at 8:57pm

एक अनदेखे - अनजाने को मैं
करती हूँ प्रेम ना जाने कब से ?
जब ये पूछा अपने मन से मैंने,
तब मुझे उत्तर मिला -जन्म से।
जैसे परमात्मा को चाहे आत्मा।
सदा करती हूँ तुम्हारी प्रतीक्षा।
प्रेम तपस्या समर्पण की मिली जुली रचना के लिए हार्दिक बधाई !

Comment by Savitri Rathore on June 27, 2013 at 3:17pm

आदरणीय विजय जी,सादर प्रणाम !
मेरी कविता पर आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया हेतु आपका आभार !

Comment by Savitri Rathore on June 27, 2013 at 3:15pm

आदरणीय कुंती जी,मेरी कविता के मुख्य भाव को आपने आत्मसात किया,जिसके लिए मैं आभारी हूँ।आपकी शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद !

Comment by Savitri Rathore on June 27, 2013 at 3:12pm

आदरणीय जितेन्द्र जी,रविकर जी,बसंत जी, श्याम नारायण जी,आप सभी को मेरा नमस्कार !
आप सबको मेरी रचना पसंद आई ,इसके लिए आप सभी का आभार !

Comment by vijay nikore on June 27, 2013 at 3:32am

आदरणीया सावित्री जी:

 

//मेरे इस जीवन का एकमात्र
सुन्दर-मधुर स्वप्न हो तुम।
जिसे अब तक नहीं जानती मैं,
मेरे वो अज्ञात प्रियतम हो तुम।//

 

मार्मिक मधुर भाव! आपको हार्दिक बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by coontee mukerji on June 27, 2013 at 2:36am

प्रेम की मधुरता लिये नायिका की विरह वेदना ...........सविता जी , आप की तपस्या सफल हो .शुभकामनाएं सहित.

Comment by Shyam Narain Verma on June 26, 2013 at 5:20pm

 सुन्दर रचना हार्दिक बधाई स्वीकारें................

Comment by बसंत नेमा on June 26, 2013 at 12:40pm

बहुत खुबसुरत रचना ... बधाई 

Comment by रविकर on June 26, 2013 at 11:06am

बढ़िया है आदरणीया -

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 26, 2013 at 11:05am
आदरणीया...साविञी जी, बेहद खूबसूरत भावनात्मक कविता के प्रस्तुतिकरण पर..हार्दिक शुभकामनाऐं

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
10 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
16 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
17 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय सुधार कर दिया गया है "
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service