ये दर्द कुछ ऐसा है,जो सबको बताया नहीं जाता।
ये ग़म कुछ ऐसा है,जो सबको सुनाया नहीं जाता।
ज़िन्दगी तेरा साथ अब तक बहुत निभाया हमने,
पर अब हमसे यह साथ और निभाया नहीं जाता।
हर ज़ख्म पर रोने की जगह हँसते रहे हम उम्र भर,
पर अब हमसे बेवजह और मुस्कराया नहीं जाता।
छोटी -छोटी खुशियाँ ही तो मांगीं थी तुझसे हमने,
पर दर्द मिला जो इस दिल में समाया नहीं जाता।
हर वक़्त सही नाउम्मीदी,नाकामी और बेबसी,
पर अब तुझसे अपना मज़ाक उड़वाया नहीं जाता।
सपने देखकर हमने भी उन्हें पूरा करना चाहा था,
पर अब उनकी टूटन का बोझ उठाया नहीं जाता।
दो क़दम साथ तुम चले तो ये ज़िंदगी हसीं हो गयी,
अब तुम्हारे बिना ये सूना सफ़र निभाया नहीं जाता।
ख़ुद की आँखों में भरा हो चाहे आँसुओं का समंदर,
पर जिससे प्यार हो,उसे कभी रूलाया नहीं जाता।
चाहे तुम लाख बहाने बना लो मुझसे दूर होने को,
पर दिल में बसे प्यार को कभी छुपाया नहीं जाता।
कितना भी दर्द ज़िंदगी से क्यों न मिला हो भला,
पर जो जां से प्यारा हो उसे कभी सताया नहीं जाता।
प्यार का ज़ज़्बा आँखों से और बातों से बयां होता है,
बार - बार कहकर यह एहसास जताया नहीं जाता।
'सावित्री राठौर'
[मौलिक एवं अप्रकाशित]
Comment
आदरणीय वीनस जी,आपके प्रशंसात्मक और प्रेरणात्मक शब्दों ने मुझे अत्यंत उत्साहित किया है और मेरा आगे भी यह प्रयास रहेगा कि मैं आप सभी की आशाओं के अनुरूप अच्छा लिख सकूँ।वैसे तो मैं गद्य और पद्य दोनों ही लिखती हूँ। गद्य में तो मैंने अलग -अलग विधाओं पर लिखा है पर पद्य में केवल कविता ही लिखती थी,किन्तु आप और आप जैसे कुछ लोगों की ग़ज़ल रचनाओं से प्रभावित होकर इस और लेखन का प्रयास प्रारंभ किया है।आगे भी अच्छे लेखन हेतु तत्पर रहूँगी। आभार !
आदरणीय प्राची जी,आपने मेरी रचना में विद्यमान भावों को ग्रहण कर अपनी अमूल्य प्रतिक्रिया व्यक्त की,जिसके लिए मैं आपकी आभारी हूँ।आपके प्रेरणास्पद शब्द मुझे और अच्छा लेखन करने को प्रेरित करते हैं।आभार !
आदरणीय राम शिरोमणि जी,उत्साहवर्धन हेतु धन्यवाद !
बधाई स्वीकारें आदरणीया.
प्रयासरत रहें. ..
शुभेच्छाएँ
//ये दर्द कुछ ऐसा है,जो सबको बताया नहीं जाता।
ये ग़म कुछ ऐसा है,जो सबको सुनाया नहीं जाता।
ज़िन्दगी तेरा साथ अब तक बहुत निभाया हमने,
पर अब हमसे यह साथ और निभाया नहीं जाता।//
सावित्री जी, शायर जितना मग़्मूम हो अशआर उतने ही जज़्बाती हो जाते हैं, अपनी इस रचना में आपने अपना दिल निकाल के रख दिया हो ऐसा लग रहा है बधाई आपको इस रचना के लिए.
निःसंदेह मुहब्बत में जब चोट लगती है तो उसके दर्द का एहसास कैसा होता है उसके बहुत ही सलीके से बयां किया है आपने. इस हेतु मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारें.
बहुत शानदार प्रयास है
बधाई स्वीकारें
निश्चित ही आने वाला कल आपका है ...
प्रिय सावित्री राठौर जी
अजीब सी कशमकश होती है मोहब्बत..जो भाव सबसे बड़ी खुशी का एहसास हो .उसके साथ ही इतने do's and don'ts जुड़े होते हैं ..
दर्द से निस्सृत इन कराहों को शब्दबद्ध कर अभिव्यक्त करने के लिए हार्दिक बधाई
सुन्दर रचना //हार्दिक बधाई आपको आदरणीया/// प्रयासरत रहें
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