For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सिर्फ तुम्हारे लिए

तेरे अधरों की मुस्कान,

भरती मेरे तन में प्राण.

जीवन की ऊर्जा हो तुम,

साँसों की सरगम की तान.

मैं सीप तुम मेरा मोती ,

मैं दीपक तुम मेरी ज्योति.

कभी पूर्ण न मैं हो पाता ,

संग मेरे जो तुम न होती.

किन्तु दुख है कि मैं तुमको,

कभी नहीं खुश रख पाया .

तुमने मुझसे पाया घाटा ,

मैंने केवल लाभ कमाया.

बस खुदा से यही प्रार्थना,

खुश रक्खे तुझको हरदम.

मेरे प्राणों की कीमत भी,

तेरी खुशी के लिए है कम.

(सर्वथा मौलिक एवं अप्रकाशित- प्रदीप बहुगुणा ‘दर्पण’)

Views: 692

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' on July 18, 2013 at 2:39pm

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति प्रदीप जी ........उम्दा पंक्तियां का संयोजन ......

मैं सीप तुम मेरा मोती ,

मैं दीपक तुम मेरी ज्योति.

कभी पूर्ण न मैं हो पाता ,

संग मेरे जो तुम न होती.

किन्तु दुख है कि मैं तुमको,

कभी नहीं खुश रख पाया .

तुमने मुझसे पाया घाटा ,

मैंने केवल लाभ कमाया.

Comment by Pradeep Bahuguna Darpan on July 2, 2013 at 12:44pm

विजय निकोरे जी...  बहुत बहुत आभार .... 

Comment by Pradeep Bahuguna Darpan on July 2, 2013 at 12:42pm

डा.प्राची जी .... मन के भावों को समझकर सटीक विश्लेषण और उत्साहवर्द्धन के लिए बहुत बहुत आभार .... आपकी बात अक्षरश सही है .

Comment by vijay nikore on July 2, 2013 at 7:35am

आदरणीय प्रदीप जी:

 

// मेरे प्राणों की कीमत भी,

तेरी खुशी के लिए है कम.//

अति मार्मिक भावाभिव्यक्ति के लिए साधुवाद।

सादर,

विजय निकोर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 2, 2013 at 7:26am

निश्छल निःस्वार्थ प्रेम..जब परिस्थितियों में उलझ सा जाए...... और प्रियतम ही उसे समझ न सके, तो ह्रदय अपने अन्तः भावों को जैसे ज़ाहिर कर देना चाहता हो शब्दों के दर्पण में....

ऐसी ही unmanipulated अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई.

Comment by Pradeep Bahuguna Darpan on July 1, 2013 at 9:57pm
Aarti Sharma ji... Dhanywad ...
Comment by Pradeep Bahuguna Darpan on July 1, 2013 at 9:56pm
मीना पाठक जी और अरुण जी ... आपका बहुत बहुत शुक्रिया.......
Comment by Meena Pathak on July 1, 2013 at 3:11pm

किन्तु दुख है कि मैं तुमको,

कभी नहीं खुश रख पाया .

तुमने मुझसे पाया घाटा ,

मैंने केवल लाभ कमाया..... बहुत उम्दा .. हार्दिक बधाई 

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 1, 2013 at 1:15pm

किन्तु दुख है कि मैं तुमको,

कभी नहीं खुश रख पाया .

तुमने मुझसे पाया घाटा ,

मैंने केवल लाभ कमाया. ... भाई जी इन पंक्तियों ने दिल को छू लिया, हार्दिक बधाई

Comment by Aarti Sharma on July 1, 2013 at 1:06pm

बहुत उम्दा प्रदीप जी..बधाई स्वीकारें 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. वैसे आपका गीत भावों से समृद्ध है.…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
17 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
yesterday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"संवेदनाहीन और क्रूरता का बखान भी कविता हो सकती है, पहली बार जाना !  औचित्य काव्य  / कविता…"
Friday
Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
Thursday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service