For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

धिक्कारो ऐसा नेता-

हो जाती कुदरत खफा, देती मिटा वजूद ।

उलथ उत्तराखंड ज्यों, होय नेस्तनाबूद ।।

क्या मूरख मानव चेता ।।

विस्फोटों से तोड़ते, ऊंचे खड़े पहाड़ ।

हाड़ कुचलते शैलखंड, अपना मौका ताड़ ।।

ऐसे ही बदला लेता ।।

सरिता-झरना का करे, मनुज मार्ग अवरुद्ध ।

कुछ वर्षों में ही मगर, कर दे वर्षा शुद्ध ।।

जीव-जंतु घर बार समेता ॥

विजय होय बहु-गुणों से, किन्तु चेतना सून।

मार जाय लाखों मनुज, ज्यों तेरह का जून ॥

धिक्कारो ऐसा नेता ॥

मौलिक / अप्रकाशित

Views: 547

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on July 3, 2013 at 9:45pm

आदरणीय सटीक पुच्छल दोहों के लिये हार्दिक शुभकामनायें..........

Comment by Sumit Naithani on July 3, 2013 at 2:43pm

सुन्दर रचना.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 3, 2013 at 10:23am

//तेरह का जून से तातपर्य सन तेरह का जून है//

अब ये कैसी कहन है भाई जी? बिना किसी उद्धरण या सटीक इंगित ऐसा कोई विन्दु कूट ही नहीं महाविकट भी होता है. ऐसा प्रयास ... . खैर.

शुभम्

Comment by रविकर on July 3, 2013 at 9:20am

तेरह का जून से तातपर्य

सन तेरह का जून है आदरणीय-
सादर आभार


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 3, 2013 at 7:35am

पुछल्ले वाले दोहों की बयार अच्छी बहायी आपने, आदरणीय रविकर भाईजी.

बहुत सुन्दर प्रयास हुआ है और पठनीय रचना हुई है.  ढेर सारी बधाई..

तेरह जून को सत्तरह जून क्यों न किया जाय ? तेरह से कुछ विशेष है क्या ? सत्तरह जून की विभीषिका से तो सभी परिचित हुए हैं.

सादर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 3, 2013 at 2:29am
आदरणीय..रविकर जी, सुंदर रचना प्रस्तुति पर बधाई
Comment by Harish Upreti "Karan" on July 2, 2013 at 6:39pm

सुन्दर रचना.......बधाई.....

Comment by Shyam Narain Verma on July 2, 2013 at 6:23pm

बहुत ही सुन्दर रचना , हार्दिक बधाई.......................................

Comment by coontee mukerji on July 2, 2013 at 3:47pm

हो जाती कुदरत खफा, देती मिटा वजूद ।

उलथ उत्तराखंड ज्यों, होय नेस्तनाबूद ।।

क्या मूरख मानव चेता ।।...............सच है कोई समझे या न समझे ,प्रकृति अपना बदला ले ही लेती है.

Comment by ram shiromani pathak on July 2, 2013 at 2:32pm

वाह आदरणीय रविकर जी बहुत ही सुन्दर रचना //हार्दिक बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service