थोथी-थूल दलील दे, भाँजे लापरवाह |
लीला लाखों जिंदगी, कातिल है नरनाह |
कातिल है नरनाह, दिखाए दुर्गति-लीला |
विपत-प्रबंधन ढील, बहे घर-ग्राम-कबीला |
धरे हाथ पर हाथ, मजे में बाँचे पोथी |
छी छी सत्ता स्वार्थ, थुड़ी थू थोथा-थोथी ||
मौलिक / अप्रकाशित
Comment
आदरणीय रविकर जी सादर, सुन्दर कुण्डलिया छंद "थुड़ी थू थोथा-थोथी" बहुत गजब.
पंक्ति को वैधानिकतः संशोधित कर देने के लिए सादर धन्यवाद, आदरणीय
बड़ा खुलासा आज, किया क्यूँ इस "इसरो" ने |
जी आदरणीय-
ठीक कर दिया-
सादर-
आदरणीय रविकर जी, प्रतिक्रिया कुण्डलिया में आपने रोला वाले भाग के विषम चरण में किन्तु, बड़ा खुलासा किया लिखा है जो कि छंद के वैधानिक रूप से सही नहीं है. रोला का विषम चरण गुरु से समाप्त नहीं हो सकता है न !
मेरा इशारा उस ओर था.
सादर
आभार
आदरणीया डा प्राची जी
आदरणीया महिमा श्री जी-
आभार आदरणीय सौरभ जी |
बड़ा खुलासा से तात्पर्य-
मौसम की विभाग की चेतावनी
और इसरो द्वारा ६ घंटे पूर्व बादल फटने की घटना के प्रति सरकार को आगाह करने से है-
सादर-
वाह!!! कम शब्दों में भी मारक प्रभाव का अंदाज ... सबसे निराला है आदरणीय रविकर सर ...बहुत -२ बधाई आपको
आदरणीय रविकर भाईजी, आपकी प्रतिक्रिया छंद रचना का जवाब नहीं. बहुत ही परिपक्व कहन है.
किन्तु, बड़ा खुलासा किया .. ? .. :-((((((
सादर
आभार आदरेया-
इस रोने से क्या भला, नहीं समय पर चेत |
बादल फटने की क्रिया, हुवे हजारों खेत |
हुवे हजारों खेत, रेत मलबे में लाशें |
दुबक गई सरकार, बहाने बड़े तलाशें |
रविकर पक्का धूर्त, इसे दो रोने धोने |
बड़ा खुलासा आज, किया क्यूँ इस "इसरो" ने ||
उत्तराखंड की आपदा पर सरकारी लापरवाह प्रबंधन ढील पर लिखी गयी एक सटीक सुप्रवाह्मय कुंडलिया
शुभकामनाएं
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