सार/ललित छंद १६ + १२ मात्रा पर यति का विधान, पदांत गुरु गुरु अर्थात s s से,, छन्न पकैया पर प्रथम प्रयास / क्रिकेट विषय
छन्न पकैया छन्न पकैया, टॉस करेगा सिक्का
कौन चलेगा पहली चाली, हो जायेगा पक्का ।। १
छन्न पकैया छन्न पकैया, कंदुक लाली लाली
इक निशानची ठोकर मारे, गिल्ली भरे उछाली।। २
छन्न पकैया छन्न पकैया, बादल छटते जाये
आँखों में है धूर झोंकते, धन भर घर ले आये ।। ३
छन्न पकैया छन्न पकैया, गिरा राज का कुंदा
हाथ हथकड़ी पांव बेड़ियाँ, गले पड़ गया फंदा ।। ४
छन्न पकैया छन्न पकैया, चले काठ का बल्ला
गेंद गयी सीमा बाहर ते, दीदों में है हल्ला ।। ५
छन्न पकैया छन्न पकैया, तू जीती या हारी
ठंडा बेचन हारों को तो, प्यारी है रिजगारी ।। ६
छन्न पकैया छन्न पकैया, अब प्रेशर है भारी
गीतिका 'वेदिका' संशोधित*
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
आभार आदरणीय श्याम नारायण जी!
आपने रचना को सराहा ,,
सादर !!
आदरणीय अभिनव अरुण जी!
आपने छंद रचना को सराहा ...मेरी लेखनी कृतार्थ हुयी,, स्नेह बनाये रखिये !
छंदों में अद्भुत सौन्दर्य ... आनंदित करती अति सुन्दर सुगठित रचना ... उम्दा बहुत बधाई और असीम शुभकामनायें आदरणीया !!
बहुत ही सुन्दर रचना , हार्दिक बधाई......................................." |
आदरणीय कल्पना जी!
रचना को आपका अनुमोदन मिला, मन हर्षित हुआ!
स्नेह बनाये रखिये!
वाह, वाह!! सचमुच आनंद आ गया। इतना प्रवाहमय सुंदर गीत, एक साथ चार बार पढ़ लिया। बहुत बहुत बधाई आपको गीतिका जी...
//एक ही बात कहूँगा - "मज़ा आ गया"// इतना गजब की प्रतिक्रिया। :)))
वाकई रचना कर्म धन्य हुआ!! दिल से आभार आदरणीय शिज्जू जी!
वेदिका जी,नमस्कार,
इस प्रकार की प्रस्तुति पर यूँ लगता है वक्ता कहता जाए और हर एक लफ़्ज़ उत्सुकता से सुनता रहूँ.
मैं एक ही बात कहूँगा - "मज़ा आ गया"
अहा!! इतनी सारी वाह्ह ,, रचना कर्म सार्थक हुआ,
आपका अतिशय धन्यवाद आदरणीय राजेश झा जी!
हमारी तरफ से इन प्रस्तुति के लिए 108 बार वाह-वाह कबूल करें, बहुत ही सुंदर रचना, शब्द चयन एवं भाव है
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