!!! अभिनव प्यार !!!
प्रिया! जब तुम भूली,
तो मैं क्या लिखता ?
जब तुम थीं सब मेंरा था,
मैं याद भला क्या करता ?..... प्रिया! जब......
अब तुम नहीं पर प्यार तेरा,
मुझे बार बार दोहराता।
मैं भूल चला जीवन के पथ को,
स्मृति रोशन क्या करता ?...... प्रिया! जब...
पूर्ण अंधकार में इक जुगुनू,
इस झिलमिल जीवन को-
या अपनों से भूले रिश्तों का,
पथ प्रदर्शन क्या करता ?....... प्रिया! जब...
इस अभिनव प्यार संग,
द्वेष-भाव जो रखता।
ऐसे ठोस शिला हृदय में,
प्यार द्रवित क्या करता ?....... प्रिया! जब....
के0पी0सत्यम/मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आ0 विजय सर जी, आपका स्नेह और आशीष पाकर मैं धन्य हो गया। आपका तहेदिल से हार्दिक आभार। सादर,
सुन्दर भाव-प्रस्तुति के लिए बधाई, आदरणीय केवल जी।
सादर,
विजय निकोर
आ0 बृजेश भाई जी, आपके आत्मीय स्नेह और उत्साहवर्धन केलिए आपका तहेदिल से हार्दिक आभार। सादर,
आ0 कुन्ती मैम जी, आपके स्नेह भरे उत्साहित वचन से मैं आश्वस्त हुआ कि मेरी रचना सार्थक रही। आपका तहेदिल से हार्दिक आभार। सादर,
आ0 जितेन्द्र भाई जी, आपका स्नेह और उत्साह पाकर हृदय पुलकित हो गया। आपका तहेदिल से हार्दिक आभार। सादर,
आ0 वेदिका जी, आपका स्नेह और उत्साह पाकर हृदय पुलकित हो गया। आपका तहेदिल से हार्दिक आभार। सादर,
आ0 लड़ीवाला जी, आपका स्नेह और आशीष पाकर मैं धन्य हो गया। आपका तहेदिल से हार्दिक आभार। सादर,
आ0 सौरभ सर जी, जी!.. आपने दुःखती नब्ज पकड़ ली। हा..हा!... जी सर! बिलकुल सही बात है। गीत लिखने में धुन और भाव के अनुरूप शब्दों का चयन बड़ा दुश्कर होता है। इसलिए जो भी शब्द बन पड़ते हैं लिख जाता हूं। आपका स्नेह और आशीष पाकर मैं धन्य हो गया। आपका तहेदिल से हार्दिक आभार। सादर,
अब तुम नहीं पर प्यार तेरा,
मुझे बार बार दोहराता।
मैं भूल चला जीवन के पथ को,
स्मृति रोशन क्या करता ?...... प्रिया! जब...
प्रेम तो वो भाव है जिसको जितना छिपा लो पर रिसता है दर्द सीने के उठ कर आँखों तक आता है |
आभार
आ0 माथुर जी, आपके स्नेह और समर्थन से मेरा उत्साह दो गुना हो गया। आपका बहुत-बहुत आभार। सादर,
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