For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!!!  अभिनव प्यार  !!!

 

प्रिया! जब तुम भूली,
तो मैं क्या लिखता ?
जब तुम थीं सब मेंरा था,
मैं याद भला क्या करता ?..... प्रिया! जब......

अब तुम नहीं पर प्यार तेरा,
मुझे बार बार दोहराता।
मैं भूल चला जीवन के पथ को,
स्मृति रोशन क्या करता ?...... प्रिया! जब...

पूर्ण अंधकार में इक जुगुनू,
इस झिलमिल जीवन को-
या अपनों से भूले रिश्तों का,
पथ प्रदर्शन क्या करता ?....... प्रिया! जब...

इस अभिनव प्यार संग,
द्वेष-भाव जो रखता।
ऐसे ठोस शिला हृदय में,
प्यार द्रवित क्या करता ?....... प्रिया! जब....

के0पी0सत्यम/मौलिक व अप्रकाशित

Views: 548

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 6, 2013 at 6:47pm

आ0 विजय सर जी,  आपका स्नेह और आशीष पाकर मैं धन्य हो गया।  आपका तहेदिल से हार्दिक आभार।   सादर,

Comment by vijay nikore on July 5, 2013 at 1:51pm

सुन्दर भाव-प्रस्तुति के लिए बधाई, आदरणीय केवल जी।

सादर,

विजय निकोर

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 5, 2013 at 9:05am

आ0 बृजेश भाई जी,    आपके आत्मीय स्नेह और उत्साहवर्धन केलिए  आपका तहेदिल से हार्दिक आभार।   सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 5, 2013 at 9:01am

आ0 कुन्ती मैम जी,    आपके स्नेह भरे उत्साहित वचन से मैं आश्वस्त हुआ कि मेरी रचना सार्थक रही।  आपका तहेदिल से हार्दिक आभार।   सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 5, 2013 at 8:51am

आ0 जितेन्द्र भाई जी,    आपका स्नेह और उत्साह पाकर हृदय पुलकित हो गया।  आपका तहेदिल से हार्दिक आभार।   सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 5, 2013 at 8:49am

आ0 वेदिका जी,    आपका स्नेह और उत्साह पाकर हृदय पुलकित हो गया।  आपका तहेदिल से हार्दिक आभार।   सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 5, 2013 at 8:46am

आ0 लड़ीवाला जी,    आपका स्नेह और आशीष पाकर मैं धन्य हो गया।  आपका तहेदिल से हार्दिक आभार।   सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 5, 2013 at 8:43am

आ0 सौरभ सर जी,  जी!.. आपने दुःखती नब्ज पकड़ ली।  हा..हा!... जी सर!  बिलकुल सही बात है।  गीत लिखने में धुन और भाव के अनुरूप शब्दों का चयन बड़ा दुश्कर होता है।  इसलिए जो भी शब्द बन पड़ते हैं लिख जाता हूं। आपका स्नेह और आशीष पाकर मैं धन्य हो गया।  आपका तहेदिल से हार्दिक आभार।   सादर,

Comment by aman kumar on July 5, 2013 at 8:29am

अब तुम नहीं पर प्यार तेरा, 
मुझे बार बार दोहराता।
मैं भूल चला जीवन के पथ को, 
स्मृति रोशन क्या करता ?...... प्रिया! जब...

प्रेम तो वो भाव है जिसको जितना छिपा लो पर रिसता है दर्द सीने के उठ कर आँखों तक आता है |

आभार 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 5, 2013 at 8:28am

आ0 माथुर जी, आपके स्नेह और समर्थन से मेरा उत्साह  दो गुना हो गया।  आपका बहुत-बहुत आभार।   सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service