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प्यार की पराकाष्ठा

मैंने ख्वाबों में देखा है, कल आयेंगे घर सजना 

आज सुबह से थिरक रहे हैं,चंचल चित,व्याकुल नयना

 

घनघोर घटा घर आंगन छाना,तुझमें  ही छुप जाऊंगी

व्यथित ढूंढ जब होंगे प्रिय, तुरत सामने आ जाऊंगी

लग जाऊंगी जब सीने से, झूम बरसना तुम अंगना

              मैंने ख्वाबों में देखा है, कल आयेंगे घर सजना 

 

पी-कहाँ, पपीहे कहते थे तुम, कल तडके घर आ जाना

मेरे साथ ही तुझको भी है, गीत ख़ुशी के फिर गाना

द्वार मिलन पर पलक बिछाए ठुमक रहे मेरे कंगना  

                 मैंने ख्वाबों में देखा है, कल आयेंगे घर सजना 

 

कली-कली से कह दो भौंरे,खिलना होगा ठीक समय

चारों और सुगंध रहे जब द्वार खड़े  हों सुमन तनय

प्रात समीर है तुझसे अनुनय,धीरे-धीरे तुम  चलना  

                   मैंने ख्वाबों में देखा है, कल आयेंगे घर सजना 

                   आज सुबह से थिरके  मेरे चंचल चित, व्याकुल नयना

 

मौलिक और प्रकाशित 

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Comment

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Comment by Dr Lalit Kumar Singh on July 5, 2013 at 10:24pm

  

 

आदरणीय Saurabh Pandey जी सादर

 

चारों ओर सही शब्द समुच्चय है नकि चारों और.—एकदम सही, यह गलती टाइप की वजह से आयी है.

 जो आपने सुझाया है, मूल शब्द वही है

 आभार सादर

 

Comment by coontee mukerji on July 5, 2013 at 7:55pm

बहुत सुंदर प्रेमगीत......वह कवि मन ही क्या जो प्रेमगीत न गुंगुनाए.अच्छा लगा.वैसे भी आजकल की परिस्थिति  देख देखकर मन खिन्न हो जाता है.जहाँ कली कली खिले ,वातावरण पुष्पित हो जाता है.

सादर

कुंती


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 5, 2013 at 7:08pm

बहुत कुछ स्पष्टता बनी प्रतीत हो रही है.  मेरी बातों को यथोचित मान देने के लिए आपका सादर धन्यवाद, आदरणीय ललितजी.

हाँ, एक बात और, चारों ओर सही शब्द समुच्चय है नकि चारों और.

सादर

Comment by Dr Lalit Kumar Singh on July 5, 2013 at 6:16pm

आदरणीय      Dr.Prachi Singh   जी 

भाव को आत्मसात करने के लिए शुक्रिया 
सादर आभार 
Comment by Dr Lalit Kumar Singh on July 5, 2013 at 6:09pm

आदरणीय     DR. GANGADHAR DHOKE   जी 


सादर आभार 
Comment by Dr Lalit Kumar Singh on July 5, 2013 at 6:07pm

आदरणीय    Laxman Prasad Ladiwala  जी 


सादर आभार 
Comment by Dr Lalit Kumar Singh on July 5, 2013 at 6:06pm

आदरणीय    Jitendra Pastariya जी 


सादर आभार 
Comment by Dr Lalit Kumar Singh on July 5, 2013 at 6:05pm

आदरणीय   रविकर जी 

आप सही कह रहे हैं 
सादर आभार 
Comment by Dr Lalit Kumar Singh on July 5, 2013 at 6:03pm

आदरणीय  vijay nikore जी 

सादर आभार 
Comment by Dr Lalit Kumar Singh on July 5, 2013 at 6:02pm

शुक्रिया नैथानी जी 

सादर 

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